पुरूषोत्तम कैवर्त/ कसडोल : जिले में पिछले एक दिसंबर से धान खरीदी की शुरूआत तो हो गई लेकिन अब तक धान का उठाव शुरू नहीं होने से खरीदी केंद्रों में धान जाम होने लगा है। इससे केंद्रों में जगह की कमी होने लगी है। ऊपर से बीते दो-तीन दिनों से बदले हुए मौसम ने समिति प्रबंधकों व कर्मचारियों एवं हमालों की चिंता बढ़ा दी है। धान के रख-रखाव को लेकर समिति की चिंता बढ़ती ही जा रही है।
खरीदी के बाद धान के समुचित उठाव नहीं होने के कारण रखरखाव के लिए समिति के पदाधिकारी चिंतित हैं , खरीदी केन्द्रों में धान का स्टाक बफर लिमिट से पार हो चुका है। कुछ सोसाइटी में अब धान के रखरखाव के साथ-साथ धान को तौलने की समस्या भी खड़ी होने लगी है। विदित हो कि धान खरीदी के शुरू होने के साथ ही साथ धान की आवक भी पर्याप्त मात्रा में इसलिए भी हो रही है क्योंकि इस वर्ष धान की खरीदी विलंब से शुरू हुई और धान उठाव अभी शुरू नहीं हो पाया है,जिस तरह से इन दिनों मौसम बदलते रहते हैं कभी आसमान में पूरे दिन बादल छाए रहते हैं तो कभी मौसम साफ हो जाता हैं , यदि बारिश होती है तो निश्चित रूप से धान के रखरखाव एक बड़ी परेशानी समिति के लिए हो सकती हैं , विदित हो कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान खरीदी केंद्रों की संख्या बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष कुल 172 खरीदी केंद्रों में धान की खरीदी की जा रही है। धान खरीदी केंद्रों की संख्या बढ़ने तथा इस बार विलंब से धान खरीदी शुरू होने के चलते धान का भंडारण कम समय में ही ज्यादा हो गया। खरीदी विलंब से शुरू होने के चलते किसान अपने धान की मिंजाई पूरी कर चुके थे, और उन्हें सिर्फ खरीदी शुरू होने का ही इंतजार था। इसके चलते शुरुआत दिनों से ही पर्याप्त मात्रा में धान का आवक खरीदी केंद्रों में होने लगी , एक ओर जहां धान खरीदी के नए सत्र में अभी तक धान का उठाव के लिए परिवहनकर्ता सुनिश्चित नहीं किया जा सका है।ना ही अभी तक खरीदी केन्द्रों का बीमा हो पाया है। बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के अधिकांशतः (कई)समितियों में कर्मचारियों को 6से लेकर 14महीने तक का वेतन नहीं मिल पाया है और मिलर्स की लोडिंग चार्ज की भुगतान की गंभीर समस्या समितियों के लिए सिर दर्द बनी हुई है। सर्व विदित है कि पिछले वर्ष मिलर्स लोडिंग चार्ज प्रति बोरी 2.50रुपये से 3.00रुपये तक भुगतान करते आ रहे हैं। लेकिन विडंबना यह है कि इस बढ़ती मंहगाई में भी लोडिंग चार्ज प्रति क्विं 4.62रुपये होने से हमालों ने भी भारी नाराजगी जाहिर की है। और कम मूल्य पर धान लोडिंग नहीं करने पर अड़े हुए हैं। जिससे समितियों को अनेकानेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यदि समस्याओं का समाधान समय रहते नहीं किया जाएगा तो और गंभीर समस्या मुंह फैलाए खड़ी है। इससे अपने आप को किसान हितैषी मानने वाले सरकार बदनाम हो रही है।