नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से 1 अक्तूबर तक चलेगा। इसको लेकर पहले जानकारी आई थी कि इस सत्र प्रश्नकाल नहीं होगा। जिसके बाद विपक्ष की तरफ से इसका विरोध किया गया। इस सत्र में प्रश्नकाल के निलंबन को लेकर विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए यह विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास है। मुख्य विपक्षी कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया था कि प्रश्नकाल का निलंबन करके लोकतंत्र का गला घोटने और संसदीय प्रक्रिया को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
बता दें कि अब विपक्ष के विरोध के बाद अब प्रश्नकाल को 30 मिनट का समय दे दिया गया है। बता दें कि संसद के दोनों सदन में एक घंटे का प्रश्नकाल होता है जिसमें सवाल किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रश्नकाल के समय को निलंबित कर दिया गया था। प्रश्नकाल के निलंबन के बाद विपक्ष लामबंद हो गया है विरोध शुरू हो गया था। माना जा रहा है कि इसी विरोध के चलते अब प्रश्नकाल के लिए 30 मिनट का समय दिया गया है।
वहीं संसद के सत्र से प्रश्वकाल को नहीं रखने पर रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस पार्टी इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। हम इसका संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह पुरजोर विरोध करेंगे। बता दें कि कोरोना के कारण संसद की कार्रवाई में बदलाव किया गया है। अब दो पाली सुबह 9 से 1 बजे और दोपहर 3 से 7 बजे शाम तक संसद चलेगी। सुबह की पाली में राज्यसभा और दूसरी पाली में लोकसभा की कार्यवाही होगी। पूरे सत्र में कोई छुट्टी नहीं होगी।
प्रश्नकाल के निलंबन को लेकर सरकार के सूत्रों ने कहा था कि पहली बार ऐसा नहीं हो रहा कि किसी सत्र में प्रश्नकाल नहीं चलेगा। 2004 और 2009 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। इसके अलावा विभिन्न कारणों से 1991 में और उससे पहले 1962, 1975 तथा 1976 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। राज्यसभा के एक विश्लेषण में सामने आया है कि पिछले पांच साल में प्रश्नकाल के 60 प्रतिशत समय का इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल 40 प्रतिशत समय का उपयोग किया गया।