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लॉकडाऊन बढ़ता है मानसिक बीमारियों के मामले 20 फीसदी ज्यादा

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दिल्ली। संस्थान ने चेतावनी दी है कि भारत में हाल के दिनों में कई कारणों से मानसिक संकट का खतरा पैदा हो रहा है। इनमें रोजी-रोटी छिनना, आर्थिक तंगी बढ़ना, अलग थलग होना और घरेलू हिंसा बढ़ना शामिल हैं। ये कारण किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए भी उकसा सकते हैं। सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ के पदाधिकारियों ने अंदेशा जताया है कि मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर अब दिखने लगेंगे। यह संकट अब लोगों को गहराई से प्रभावित कर रहा है। जानकारों के मुताबिक हालात का सामना करने की हम सबकी एक सीमा है। अगर ज्यादा समय तक बहुत ज्यादा तनाव रहे तो हम उससे निपटने की अपनी क्षमता खो देते हैं। मनोवैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि महामारी के इस दौर में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खास तौर से दिक्कतें हो सकती हैं। उन्हें दोस्तों से अलग थलग अपने घरों में रहना पड़ रहा है। एक हालिया सर्वे में पता चला है कि भारत में लॉकडाउन के कारण कोरोना वायरस से इतर होने वाली मौतों में आत्महत्या एक बड़ा कारण है। सर्वे के मुताबिक, इस साल मार्च में 125 लोगों की मौत संक्रमण के डर, अकेलेपन, बाहर आने जाने की आजादी छिन जाने या फिर घर न जा पाने की हताशा के कारण हुई। अध्ययन में वित्तीय तंगियों और शराब ना मिल पाने को भी आत्महत्या के कारणों में गिनाया गया है। भारत सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम पेश किया था, जिसके तहत सरकारी स्वास्थ्य देखभाल और इलाज के जरिए लोगों का अच्छा मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की बात कही गई थी।

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