रायपुर : राजधानी हॉस्पिटल अग्निकांड में देवदूत बनकर पहुंचे चार फायरमैन ने अपनी जान पर खेलकर कोविड मरीजों को धधकती आग से बाहर निकालकर उनकी जान बचाई लेकिन अब सरकारी सिस्टम उनकाे ही रुला रहा है। उन्हें सुभाष स्टेडियम स्थित फायर स्टेशन के दफ्तर में होम आइसोलेशन में रखा गया है लेकिन हैरतअंगेज बात है। उन्हें रविवार सुबह से शाम तक खाना-पानी तक नहीं मिला। मजबूरन चारों फायरमैन ने ईंट से चूल्हा बनाया और लकड़ी जलाकर खुद ही खाना तैयार किया। आइसोलेशन के पहले दिन कोई अफसर भी झांकने तक नहीं आया। सभी फायरमैन को करीब 15 दिनों तक आइसोलेशन में रहना है। ऐसे बदतर इंतजाम में 15 दिन का वक्त काटना फायरमैन के लिए बेहद मुश्किल भरा होगा। हालांकि परेशानी के बार में पूछने पर फायरमैन कुछ बोलने से कतरा रहे हैं।
ये फायरमैन आइसोलेट
जानकारी के मुताबिक रायपुर फायर डिपार्टमेंट में फायरमैन अमित कोसले, शिवेंद्र सिंह, जितेंद्र भट्ट और विजेंद्र गौतम तैनात राजधानी हॉस्पिटल में आग लगने के बाद वहां पहुंचे थे। चारों हॉस्पिटल में भीतर घुसकर अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए कोविड पॉजिटिव मरीजों को गोद में उठाकर बाहर निकालने में जुटे रहे। करीब 6 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद जब वापस फायर स्टेशन लौटे तो उन्हें दफ्तर में आइसोलेट कर दिया गया। इससे उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं।
खुद पैसे देकर मंगाई लकड़ी
जानकारी के मुताबिक फायरमैन को शाम 4 बजे तक खाना नहीं मिला। इसके बाद भूख से तड़प रहे फायरमैन ने खुद खाना बनाने का प्लान बनाया। चारों ने एक परिचित को पैसे देकर लकड़ी और सब्जी-राशन का इंतजाम किया। उन्होंने फायर स्टेशन में ईंट का चूल्हा बनाकर खाना बनाया और पेट की आग को शांत किया।
15 मरीजों को बचाया
गौरतलब है कि पचपेड़ीनाका स्थित राजधानी हॉस्पिटल में शनिवार शाम अचानक आईसीयू में आग लगने से एक मरीज की जलकर मौत हो गई थी जबकि दम घुटने से चार मरीजों की मौत हो गई थी। आगजनी पर काबू पाने पहुंचे चारों फायरमैन ने आग में फंसे करीब 15 मरीजों को खुद गोद में उठाकर बाहर निकाला था।