दुबई – दुबई एयर शो में हुए तेजस विमान हादसे में शहीद हुए भारतीय वायुसेना के बहादुर पायलट विंग कमांडर नमांश स्याल का पार्थिव शरीर आज (रविवार, 23 नवंबर) उनके पैतृक गांव पटियालकड़, कांगड़ा लाया जाएगा। पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है और लोग नम आंखों से अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई देने की तैयारी कर रहे हैं।
दुबई से कांगड़ा तक पार्थिव देह का सफर
सूत्रों के मुताबिक— शनिवार रात नमांश स्याल का पार्थिव शरीर दुबई से भारत लाया गया। सबसे पहले पार्थिव देह कोयम्बटूर एयरबेस पहुंची, जहां वायुसेना अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आज दोपहर करीब 2 बजे कांगड़ा एयरपोर्ट पर विशेष विमान से उनकी पार्थिव देह पहुंचेगी। इसके बाद सेना और प्रशासन के वाहन जुलूस के साथ बॉडी को पटियालकड़ गांव ले जाया जाएगा। अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा—गन सलामी, तिरंगे में लिपटा शव और वायुसेना अधिकारियों की मौजूदगी में पूरा सैन्य सम्मान दिया जाएगा।
कैसे हुआ हादसा?
शुक्रवार, 21 नवंबर को दुबई एयर शो 2025 में तेजस LCA Mk-1 का विशेष एरोबेटिक डेमोंस्ट्रेशन हो रहा था। विंग कमांडर नमांश स्याल खुद इस उड़ान का संचालन कर रहे थे। उड़ान के कुछ ही मिनट बाद विमान अचानक नीचे आया और जमीन से टकराकर विस्फोट हो गया। हादसे के तुरंत बाद दुबई अधिकारियों और IAF की टीम ने जांच शुरू कर दी है। दुर्घटना की वास्तविक वजह की पुष्टि IAF की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ही करेगी। यह तेजस का दुबई में पहला बड़ा हादसा था, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी समीक्षा की जा रही है।
गांव में पसरा मातम, हर आंख नम
कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां क्षेत्र में नमांश के गांव में शोक का माहौल है। परिवार, रिश्तेदार और स्थानीय लोग इस खबर से सदमे में हैं। नमांश के चाचा जोगिंदर स्याल ने बताया— “हमें हादसे की सूचना शुक्रवार दोपहर करीब तीन बजे मिली। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि नमांश हम सबको यूं छोड़कर चला गया।”
कौन थे शहीद विंग कमांडर नमांश स्याल?
हिमाचल प्रदेश के नगरोटा बगवां के रहने वाले विंग कमांडर स्याल अपने डिसिप्लिन और शानदार सर्विस रिकॉर्ड के लिए जाने जाते थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सैनिक स्कूल, सुजानपुर टीरा से पढ़ाई की। उनके परिवार में उनके माता-पिता, उनकी पत्नी जो इंडियन एयर फोर्स ऑफिसर हैं और उनकी छह साल की बेटी हैं।
पायलट नमांश स्याल के पिता जगन नाथ एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर थे और बाद में हिमाचल प्रदेश एजुकेशन डिपार्टमेंट में प्रिंसिपल बने। उनकी मां बीना देवी इस हादसे के समय हैदराबाद में थी। स्याल परिवार का घर कई दिनों से बंद था।
नमांश स्याल ने सिर्फ 16 साल की उम्र में पायलट बनने का सपना देखा था और NDA तथा वायुसेना अकादमी से प्रशिक्षण लेकर वे देश के सबसे कुशल तेजस पायलटों में गिने जाते थे।
वे तेजस की कई अंतरराष्ट्रीय डेमो उड़ानों का हिस्सा रह चुके थे और IAF में उनकी गिनती बेहद शांत, प्रोफेशनल और साहसी पायलटों में होती थी।
हिमाचल में शोक, मुख्यमंत्री का बयान
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा— “देश ने एक बहादुर, कर्तव्यनिष्ठ और जांबाज़ पायलट खो दिया है। नमांश स्याल की शहादत को पूरा देश सलाम करता है।” राज्य सरकार ने परिवार को हर संभव सहायता और सम्मान देने की घोषणा की है।

