प्रांतीय वॉच रायपुर वॉच

तिरछी नजर 👀 : मंत्री-सचिव में ठनी….…. ✒️✒️….

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चर्चा है कि हड़ताल की अवधि में बर्खास्त एनआरएचएम संविदा अफसरों-कर्मियों की बहाली के मसले पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और सचिव अमित कटारिया के बीच मतभेद सामने आ गए हैं।
सीएम विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने हड़ताल खत्म होते ही बर्खास्त कर्मियों की बहाली का आश्वासन दिया था। मगर महीने भर बाद भी बर्खास्त कर्मियों की बहाली नहीं हो पाई है।
स्वास्थ्य सचिव ने साफ शब्दों में बर्खास्त कर्मियों की बहाली से मना कर दिया है। बाकी मांगें भी पूरी नहीं हुई है। मंत्री अपने सचिव को मनाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। मंत्री और सचिव के मतभेद की काफी चर्चा हो रही है।अब प्रदेश भर के एनआरएचएम कर्मी आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। राज्योत्सव के बीच बड़े आंदोलन की तैयारी है।

बिहार में जाकर वसूली !!!

बिहार विधानसभा चुनाव चल रहा है। छत्तीसगढ़ भाजपा और कांग्रेस के कई नेता वहां प्रचार में जुट गए हैं। इन सबके बीच खबर यह है कि छत्तीसगढ़ के एक नेता ने बिहार में प्रत्याशी बनवाने के नाम से पैसे ले लिए। प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही विवाद गहरा गया है।
नेताजी की शिकायत पार्टी हाईकमान से की गई है। उन्हें फटकार भी लगाई गई है। मगर टिकट को लेकर जिस खींचतान हो रही है, उससे पार्टी के नेता चिंतित हैं। मगर छत्तीसगढ़ के नेता को दाद भी दी जा रही है, जिसने बिहार में वसूली कर दिखा दिया। यानी उल्टी गंगा बही है..। अब नतीजे अनुकूल नहीं आए, तो नेताजी को बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।
अब आगे क्या होता है, यह चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

जेल में मजे ही मजे..

महादेव आन लाइन सट्टा पर हंगामा मचा। कई बड़े आरोपी जेल गए। जेल में आरोपियों ने सुख सुविधाएं जुटाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए। ईडी की जांच भले ही कोई नतीजा नहीं निकला। आरोपियों को सजा कब मिलेगी यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन जेल के रात्रिकालीन ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों की निकल पड़ी है।आरोपी भारी भरकम खर्चा कर सुख सुविधा से रह रहे हैं। अगर पूरे किस्से का खुलासा हो जाए तो जेल के कई बड़े लोग जेल में कैदी बन जाएंगे।

नये वर्ष में पुलिस कमिश्नर प्रणाली ..

राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की चलती प्रक्रिया की गति धीमी हो गयी है। राज्योत्सव फिर प्रधानमंत्री के आगमन के चलते पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर कई गतिरोध होने के कारण नए साल एक जनवरी से ही लागू हो पाएगा।
पुलिस कमिश्नर प्रणाली की तैयारी को लेकर बैठकों का दौर जारी है। प्लानिंग बनाने में जुटे शीर्ष अफसर नक्सलवाद खत्म करने की अभियान में जुटे हैं। पुलिस विभाग की व्यस्तताओं के चलते एक नवंबर राज्य स्थापना से प्रारंभ होने वाली पुलिस कमिश्नर प्रणाली को आगे बढ़ सकती है। अगले कैबिनेट में भी इसके मसौदे पर मंत्रियों के बीच चर्चा होगी।

भू-माफियाओं पर शिकंजा..

राजधानी रायपुर के कुछ बड़े भू-माफियाओं की कुंडली पुलिस तैयार करने में जुटी है। इन भू-माफियाओं के खिलाफ पुलिस में कई बड़ी शिकायतें पहुंच गयी है। कुछ गरीब छत्तीसगढिय़ों से जबरिया लिखा पढ़ी कराने बड़े बिल्डर भी भू-माफियाओं के सहयोग लेकर काम कर रहे हैं। अगले माह कई बड़ी एजेंसी भी सक्रिय हो सकती है। एक भू-माफिया के खिलाफ समाज के लोगों ने मिलकर शीर्ष पुलिस अफसरों से लंबी चौड़ी शिकायत की है। इसमें से भी कार्रवाई अगले माह होने की संभावना है।

गुजरात की घटना से सतर्क..

गुजरात में अचानक हुए राजनीतिक उथल-पुथल के बाद छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं के कान खड़े हो गये हैं। गुजरात चुनाव के पहले इस तरह कैबिनेट में फेरबदल किया गया है। उसी तरीके का प्रयोग छत्तीसगढ़ में भी नये वर्ष में होने की अटकलें लगने लगी है। छत्तीसगढ़ के मंत्रियों,विधायकों की रिपोर्ट संगठन व सरकारी एजेंसियों के जरिए दिल्ली तक पहुंच रही है। लेकिन छत्तीसगढ़ में फिलहाल कोई चुनाव नहीं होने के कारण मामला ठंडे बस्ते में जाते दिख रहा है। भाजपाइयों के बीच गुजरात की घटना की चर्चा है और हर कोई अपने हिसाब से गुणा-भाग कर विश्लेषण कर रहे हैं। यह विश्लेषण सोशल मीडिया में जबरदस्त तरीके से चल रहा है।

गृहमंत्री और आईपीएस के बहस का सच क्या?

नक्सलियों के खिलाफ चलते अभियान में सरकार को मिलती बड़ी सफलता के बाद पुलिस महकमे में खुशी की लहर है। सरकार की रणनीति सफल होती दिख रही है। इस सफलता का श्रेय लेने की होड़ अंदर खाने में जोरदार तरीके से चल रही है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पैनी निगाह सारे घटनाक्रमों पर होने के कारण छग के गृहमंत्री विजय शर्मा, डीजीपी अरुण देव गौतम तक लो-प्रोफाईल में चल रहे हैं। नक्सल अभियान बस्तर आईजी पी.सुंदरराज पर छोड़ दिया गया है। पिछले दिनों एसपी कांफ्रेस के दौरान गृहमंत्री विजय शर्मा व महासमुंद के एसपी के बीच हुई चर्चा को मीडिया में नया मोड़ देने से कई शुभचिंतक भी अचंभित है। दरअसल कहानी और थी।

 

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