प्रांतीय वॉच रायपुर वॉच

तिरछी नजर 👀 : नन-गिरफ्तारी, प्रदर्शन के पीछे कौन?….…. ✒️✒️….

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पिछले दिनों नारायणपुर की तीन आदिवासी लड़कियों को बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करने के आरोप में केरल की दो नन वंदना फ्रांसिस और प्रीति मैरी को गिरफ्तार किया गया, तो इसकी प्रतिक्रिया केरल से लेकर दिल्ली तक हुई।
कांग्रेस के सांसदों ने संसद भवन बाहर विरोध प्रदर्शन किया। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली में कांग्रेस सांसदों के विरोध प्रदर्शन के बाद ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस सक्रिय हुई। कांग्रेस ने इतनी क्यों सक्रियता क्यों दिखाई, इसकी एक बड़ी वजह रही है।
बताते हैं कि ये दोनों नन केरल के कुन्नूर जिले के रहने वाली हैं, जहां से कांग्रेस के ताकतवर राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ताल्लुक रखते हैं। नन के परिवार के लोग सीधे वेणुगोपाल से जुड़े हैं।
वेणुगोपाल सक्रिय हो गए, तो भला छत्तीसगढ़ कांग्रेस पीछे क्यों रहती। जब तक नन की जमानत नहीं हुई,तब तक प्रदर्शन चलता रहा।

मंजू ममता में जीएसटी महोत्सव

जीएसटी महोत्सव चल रहा है। जीएसटी में कमी के चलते रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में कमी आई है। होटल-रेस्टोरेंट में भी खाना सस्ता हुआ है। सीएम और मंत्री, बाजारों में जाकर ग्राहकों से सीधे बात कर रहे हैं।
पिछले दिनों सीएम विष्णु देव साय रायपुर के भीड़भाड़ वाले गुरुनानक चौक के आसपास के दूकानों में जाकर ग्राहकों से बात की। दुकानदारों का भी हाल-चाल जाना। बताते हैं कि कुछ नेताओं ने सीएम का मंजू ममता जाने का प्लान फिक्स कर वा दिया। शहर के बीचों-बीच स्थित मंजू ममता सबसे ज्यादा चलने वाली रेस्टोरेंट्स में से एक है।
मंजू ममता के संचालकों से सीएम के आने की सूचना पर सुबह से तैयारी में जुटे थे। चुनींदा ग्राहकों ही आने की इजाजत थी। नाश्ते की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया गया। सीएम के स्वागत के लिए काफी तैयारी भी थी। इसी बीच सीएम के आने के पहले कुछ लोगों ने माहौल बनाना शुरू कर दिया,कि ये कांग्रेस के लोगों के बैठने का अड्डा है। प्रशासनिक अफसर इस बात से नाराज़ थे कि सीएम को कहां जाना यह सूचना पहले ही दे दी गई। फिर क्या था, वहां से गुजरते हुए सीएम कुछ क्षण मंजू ममता के सामने रूके और संचालकों का अभिवादन स्वीकार कर आगे बढ़ गए। हालांकि सीएम के जाने के बाद जरूर विधायक सुनील सोनी मंजू ममता पहुंचे, और रोज की तरह रेस्टोरेंट के ज़ायका का लुत्फ उठाया।

सीबीआई जांच से हड़कंप

प्रदेश में समाज कल्याण घोटाले की काफी गूंज है। सीबीआई जांच करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
रिटायरमेंट के बाद भी कई सीनियर अफसर जांच के घेरे में आ गए हैं। विभाग के लोग दावा कर रहे हैं कि सोसायटी के जरिए एक हजार करोड़ के घोटाले की बात कही ज़रूर कही जा रही है, लेकिन दस साल में कुल 5 करोड़ के आसपास ही खर्च हुए हैं।
तीन पूर्व मंत्री रेणुका सिंह, लता उसेंडी और अनिला भेड़िया भी जांच के घेरे में आए हैं।
सोसायटी के एक बर्खास्त कर्मचारी ने पूरे महकमे को हिलाकर रख दिया है। जांच होगी, तो स्वाभाविक रूप थके हारे रिटायर्ड अफसरों को परेशानी होगी ही, देखना है कि सीबीआई जांच को किस तरह आगे बढ़ाती है।

ननकी राम का उपवास या उपहास..

औद्योगिक नगरी कोरबा इस समय कई कारणों से सुर्खियों में है। कोरबा में बिहार मूल के लोगों का दबदबा बढ़ रहा है। इससे डॉ चरणदास महंत और ननकी राम कंवर दोनों सहमत हैं।
पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर इसको हवा देने की कोशिश कर रहे हैं। अभी नवरात्रि चल रहा है। वर्षो से नवरात्रि में उपवास रहते हैं। नवरात्रि के खत्म होते ही फिर उपवास करने की घोषणा किए हैं। इस बार का नवरात्रि दस दिन का है। आगे राजनीतिक उपवास कितने दिन चलेगा, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। कुछ लोगों को अंदेशा है कि यह उपवास राजनीतिक उपहास का कारण ना बन जाए?

अगले साल भाग्योदय?

सीएम विष्णु देव साय कैबिनेट के फेरबदल प्रक्रिया पूरी हो गयी है। मंत्रीगण सरकार को दौड़ाने का प्रयास कर रहे हैं। जिन मंत्रियों के नाम कटे हैं, उन्हें अभी भी भरोसा है कि केन्द्र सरकार वर्तमान मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट लेकर कोई कदम उठाएगी। भाजपा के वरिष्ठ विधायकों को केन्द्र सरकार के खुफिया रिपोर्ट पर भरोसा है इसलिए किसी प्रकार की असंतुष्ट गतिविधि या बयानबाजी से अपने आप को अलग रखे हुए है। मंत्री पद छूटने के बाद वरिष्ठ नेता विधानसभा क्षेत्र में अधिक ध्यान देकर अपने को मजबूत बनाने में सक्रिय है। दावेदारों को लग रहा है कि कभी भी मंत्री बनाने का आदेश आ गया तो क्षेत्र का काम छूट सकता है। इस दिलासे में पार्टी और नेता दोनों मजबूत हो रहे हैं। वर्ष 2026 में ऐसे कुछ दिग्गजों के भाग्योदय की प्रबल संभावनाएं ज्योतिष बता भी रहे हैं।

सांसद की सक्रियता

छत्तीसगढ़ के एक प्रभावशाली सांसद ने दिल्ली पहुंचने के बाद राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। राजनीतिक तामझाम व संबंधों के कारण आमजनता से जुड़े काम कराने की कोशिश में लगे रहते हैं। सरकार ने कई कमेटियों में रखकर राजनीतिक ताकत बढ़ाने की कोशिश भी की गई है, लेकिन व्यक्तिगत काम कराने में दिक्कतें आ रही है। केन्द्र के मंत्री फुक-फुककर कदम उठाते हैं इसलिए सांसद महोदय समर्थकों के काम में गति नहीं दिला पा रहे हैं। नये समीकरण की तलाश की जा रही है।

बस्तर में आबंटन

विष्णुदेव सरकार के मंत्रियों के जिलों में फेरबदल होने के बाद डिप्टी सीएम विजय शर्मा को बस्तर संभाग के काम को गति देने की जिम्मेदारी मिलने पर भाजपा के नेता गदगद है। नक्सली अभियान में मिल रही सफलता के बाद बस्तर में विकास को गति देने के लिए फंड और दबंग नेता की तलाश की जा रही थी। विजय शर्मा के पास गृह विभाग,पंचायत विभाग होने के कारण खासकर पंचायतों में बड़ी राशि पहुंचने के संकेत है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिहंदेव तक को अपने विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं व पंचायत प्रतिनिधियों को राशि बांटने में भारी दिक्कत हो रही है। कई जिलों में टकराहट होने के कारण जन प्रतिनिधि भी परेशान है। केन्द्र से बस्तर के विकास के लिए रोडमैप तैयार हुआ है और इस ऊकितना अमल हो पाता है। आगामी दिनों पता चलेगा।

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