अभिलेखों से तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू द्वारा काटने अर्थात अभिलेख से विलोपित का आदेश जारी कर दिया, पटवारी झा ने तत्परता से आदेश का पालन बड़ी रकम ले कर दिया गया, शेष बच्चे एक खातेदार को 20 प्रतिशत भूमि का पार्टनर बनाकर भू-माफिया हरमीत सिंह खनुजा पुरी 80 प्रतिशत जमीन अपनी फर्म दशमेश रियल इन्वेस्टर के पार्टनर बनकर अपने एवं भाईयों के नाम पर रजिस्टर्ड करवा नियम विरूद्ध एक ही दिन में तहसीलदार से दर्ज करवा ली गई, इस पुरे फर्जीवाड़ा का शिकायत ग्राम सेवा समिति रायपुर जिसकी करोड़ों की जमीन का फर्जीवाड़ा हुआ था के मंत्री अजय तिवारी द्वारा संभाग आयुक्त महादेव कावरे को दिनांक 16.08.2024 को की गई जिस पर संभाग आयुक्त ने तीन सदस्यीय जांच समिति जिसमें संभाग उपायुक्त श्रीमती ज्योति सिंह, अध्यक्ष, अपर कलेक्टर निधि साहू एवं अनुविभागीय अधिकारी रायपुर श्री नंदकुमार चौबे को सदस्य नियुक्त कर जांच समिति गठन कर जांच का आदेश दिया आदेश पश्चात जांच समिति ने लगातार आठ महिने तक सुक्ष्म जांच कर जांच प्रतिवेदन संभागायुक्त के समक्ष दिनांक 02.05.2025 को प्रस्तुत की गई जिसमें तत्कालीन तहसीलदार मनीष देव साहू को दोषी मानते हुए निष्कर्ष दिया कि :-
“प्राप्त शिकायत के सबंध में संयुक्त जांच समिति द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज एवं अनावेदकों द्वारा प्रस्तुत जवाबों का अवलोकन एवं सूक्ष्म परिशीलन किया गया। संलग्न बैनामा अनुसार अनावेदक रविन्द्र अग्रवाल के पिता बृज भूषण लाल अग्रवाल के द्वारा ग्राम-पंडरीतराई प.ह.न. 109 स्थित भूमि कुल खसरा 45 जुमला रकबा 8.00 एकड़ भूमि विक्रेता लखनलाल वल्द रामदुलारे एवं अन्य तीन से पंजीकृत विकय पत्र दिनांक 20/01/1965 द्वारा कय किया गया है। पंजीकृत बैनामा की छायाप्रति के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि कुल खसरा 45 में से खसरा नं. 299/1 “क” का कितना भाग रकबा कय किया गया है। बैनामा में स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी तत्कालीन तहसीलदार रायपुर द्वारा फौती नामांतरण प्रकरण में अपने आदेश में विधिविरूद्ध यह मान लिया है कि खसरा नं. 299/1 क का आधा हिस्सा कुल 4.12 एकड़ का विक्रय बृजभूषण अग्रवाल पिता रामस्वरूप अग्रवाल ने विकय विलेख से कय किया है जबकि राजस्व अभिलेख में वाद भूमि कभी भी न तो विक्रेता के नाम पर दर्ज रही, न ही केता के नाम पर दर्ज रही है न ही विचाराधीन विक्रय विलेख में वाद भूमि के रकबे का उल्लेख है।”