युक्तियुक्तकरण की मार महिला शिक्षिका ने की आत्महत्या की कोशिश गरियाबंद में महिला शिक्षिका ने युक्तियुक्तकरण से परेशान होकर आत्महत्या की कोशिश की। वहीं हाईकोर्ट ने बिना दावा-आपत्ति काउंसलिंग को असंवैधानिक बताया। शिक्षकों को मिली बड़ी राहत।
गरियाबंद छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) प्रक्रिया अब न केवल कागजों में, बल्कि जमीनी हकीकत में भी शिक्षकों की मानसिक पीड़ा का कारण बनती दिख रही है। गरियाबंद जिले के रूवाड गांव की महिला शिक्षिका राजकुमारी बघेल द्वारा आत्महत्या का प्रयास इस पूरी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
युक्तियुक्तकरण की मार महिला शिक्षिका ने की आत्महत्या की कोशिश
युक्तियुक्तकरण की मार महिला शिक्षिका ने की आत्महत्या की कोशिश पति ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी
राजकुमारी बघेल के पति पूनम बंजारे ने बताया कि युक्तियुक्तकरण की काउंसलिंग के दिन दिनभर उन्हें आदेश का इंतजार करवाया गया। कभी थोड़ी देर में मिलेगा तो कभी व्हाट्सएप पर भेजेंगे कह कर शाम से रात तक टालते रहे। जब कोई आदेश नहीं मिला, तो वह निराश होकर वापस लौटीं। अगली सुबह उन्होंने आत्महत्या करने का प्रयास किया, लेकिन समय रहते उन्हें बचा लिया गया।
इस दर्दनाक घटना की पुष्टि उनकी सहकर्मी शिक्षिका जमुना ध्रुव ने भी की है। हैरानी की बात यह रही कि शिक्षिका के प्रयास के बाद ही रात 9:30 बजे उनके ट्रांसफर आदेश अमलीपदर स्कूल के लिए जारी किए गए।
50 से अधिक महिला शिक्षिकाओं का दूरदराज ट्रांसफर, मानसिक उत्पीड़न का आरोप
फिंगेश्वर ब्लॉक की महिला शिक्षिकाओं का कहना है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर उन्हें 200 किलोमीटर दूर जंगल क्षेत्रों में भेजा जा रहा है, जबकि स्थानीय स्कूलों में पद रिक्त हैं। कई महिलाओं ने इसे अन्यायपूर्ण ट्रांसफर करार देते हुए कानूनी लड़ाई का ऐलान किया है।
हाईकोर्ट की फटकार: बिना दावा-आपत्ति के काउंसलिंग असंवैधानिक
इसी बीच रायपुर से एक बड़ी खबर आई है। युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि बिना दावा-आपत्ति आमंत्रण के काउंसलिंग प्रक्रिया असंवैधानिक है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी शिक्षकों से पहले दावा-आपत्ति ली जाए और समाधान के बाद ही किसी प्रकार का ट्रांसफर किया जाए।
अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट में दी गई अंडरटेकिंग के अनुसार अब आगे की प्रक्रिया उसी के अनुसार होगी। कोर्ट की टिप्पणी के बाद शिक्षक संगठनों में राहत और उम्मीद की लहर दौड़ गई है।
शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया: अब उम्मीद जगी है
शिक्षक साझा मंच के संचालक व शालेय शिक्षक संघ के अध्यक्ष विरेंद्र दुबे ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा, अब शिक्षकों को न्याय की उम्मीद दिखी है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह शिक्षक संगठनों से संवाद कर युक्तियुक्तकरण के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएं।
प्रशासन की सफाई: सब कुछ नियम के अनुसार
हालांकि, जिला शिक्षा अधिकारी ए.के. सारस्वत ने कहा कि उनके पास इस तरह की किसी आत्महत्या की जानकारी नहीं है और विभागीय कार्यवाही शासन के निर्देशों के अनुसार की गई है। जो गाइडलाइन तय की गई है उसके आधार पर पोस्टिंग की गई है ।