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बच्चो और महिलाओं ने बनाई वैदिक राखी

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3अगस्त को है रक्षा बंधन का पर्व, भाई को बांधें विशेष वैदिक राखी, भाई की करती है हर संकट से रक्षा रायपुर__आजकल त्योहार बहुत ग्लैमरस होते जा रहे है ,नई पीढ़ी त्यौहारों के महत्व से अनिभिज्ञ होते जा रहे है, त्योहारों की रौनक घर आंगन में कम और बाजारों में ज्यादा दिखाई देती है,हमारी जितनी भी धार्मिक मान्यताए है उनके पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक कारण छुपा रहता है जिसे समझने के बाद नई पीढ़ी अपनी परम्पराओ के प्रति आस्थावान होगी

वैदिक परंपरा को बचाये रखने और उसके महत्व को समझाते हुए ,जानकी गुप्ता ने ऑनलाइन बच्चो और महिलाओं को वैदिक राखी का प्रशिक्षण दिया ,जिसमे पुष्पलता त्रिपाठी हरसंभव फाउंडेशन ,अर्चना वोरा , अनिता दुबे सर्वमंगल फाउंडेशन , अनिता खंडेलवाल उदगम फाउंडेशन , लावण्या अग्रवाल राजिम , लावण्या गुप्ता ,यशस्वी सिंह बघेल ,काव्या सिंघ बघेल ,अक्षरा खंडेलवाल ,आर्या खंडेलवाल, अक्षरा गुप्ता आदि ने चीनी राखियों का बहिष्कार कर वैदिक परंपरा के अनुसार राखी बनाई

कृति फाउंडेशन की संचालिका जानकी गुप्ता ने कहा रक्षा बंधन का पर्व वैदिक विधि से मनाना श्रेष्ठ माना गया है। इस विधि से मनाने पर भाई का जीवन सुखमय और शुभ बनता है। शास्त्रानुसार इसके लिए पांच वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जिनसे रक्षासूत्र का निर्माण किया जाता है। इनमें दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चन्दन और सरसों के दाने शामिल हैं। इन 5 वस्तुओं को
रेशम के कपड़े में बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावे में पिरो दें। इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी।पांच वस्तुओं का महत्व

दूर्वा (घास) – जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उग जाता है। उसी प्रकार रक्षा बंधन पर भी कामना की जाती है कि भाई का वंश और उसमें सदगुणों का विकास तेजी से हो। दूर्वा विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध
रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए।
अक्षत (चावल) – हमारी परस्पर एक दूजे के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
केसर – केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।
चन्दन – चन्दन की प्रकृति शीतल होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।
सरसों के दाने – सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें। सरसो के दाने भाई की नजर उतारने और बुरी नजर से भाई को बचाने के लिए भी प्रयोग में लाए जाते हैं। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान के चित्र पर अर्पित करें। फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं, वह पुत्र- पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्षभर सुखी रहते हैं

 

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