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भारत में कफ सिरप पीकर क्यों मर रहे बच्चे..? WHO की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

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नई दिल्ली। भारत में कफ सिरप पीने के कारण 5 साल से कम उम्र के 17 बच्चों की मौत के मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विस्तृत जानकारी जारी की है। WHO ने मौतों का कारण सिरप में खतरनाक रूप से अधिक मात्रा में मौजूद टॉक्सिक केमिकल को बताया है, साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि भारत में दवा टेस्टिंग और उत्पादन में गंभीर चूकें पाई गई हैं।

Coldrif syrup:मौत का कारण: 500 गुना ज्यादा ज़हर

बच्चों की मौत का मुख्य कारण कफ सिरप में मौजूद ज़हरीला केमिकल डाइएथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol – DEG) था।

1.खतरे का स्तर: यह ज़हरीला केमिकल सिरप में मानक सीमा से लगभग 500 गुना ज्यादा पाया गया था।

  1. नुकसान: स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि DEG एक गंभीर जहर है, जो बच्चों में किडनी फेल्योर, न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स (तंत्रिका संबंधी समस्याएँ) और अंततः मौत का कारण बन सकता है।
    3.सबसे पहले Coldrif सिरप में यह ज़हरीला केमिकल मिला था, जिसके बाद इसे बैन कर दिया गया। अब, Respifresh और RELIFE सिरप में भी यही ज़हरीला केमिकल पाया गया है।

Coldrif syrup: क्यों हुई भारत में कफ सिरप से मौतें

WHO ने अपनी रिपोर्ट में भारत में दवा उत्पादन प्रक्रिया में लापरवाही और नियमों के उल्लंघन को मौतों का बड़ा कारण बताया है।

  1. टेस्टिंग में कमी: WHO ने कहा कि भारत में दवा के लिए ज़रूरी टेस्ट में कमी है।
    2.कानूनी चूक: कानून के मुताबिक, दवा के हर बैच का टेस्ट करना ज़रूरी है, लेकिन हाल ही में फैक्ट्री चेक में यह नियम अनदेखा पाया गया।
    3.Sresan Pharmaceutical (Coldrif सिरप) की फैक्ट्री बंद कर दी गई है और पुलिस मैनस्लॉटर (गैर इरादतन हत्या) की जाँच कर रही है।
    4.Shape Pharma और Rednex Pharmaceuticals की भी सिरप में मानक कमी पाई गई है और उन्हें उत्पादन तथा बिक्री रोकने का आदेश दिया गया है।

Coldrif syrup: वैश्विक स्तर पर चिंता

WHO ने स्पष्ट किया है कि ये तीनों सिरप मुख्य रूप से केवल भारत में बेचे गए, और अभी तक इनका कोई आधिकारिक निर्यात (Export) नहीं हुआ है। हालांकि, WHO ने चेतावनी दी है कि कुछ सिरप अनौपचारिक रूप से विदेशों में भी जा सकते हैं।

बता दें, भारत दुनिया में दवा बनाने में तीसरे नंबर पर है और अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 40% जेनरिक दवाइयाँ और कई अफ्रीकी देशों की 90% दवा भारत से आती है। इस घटना ने देश और दुनिया में दवा की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

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