रायपुर। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सामने आए बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रदेशभर में पदस्थ रहे 30 आबकारी अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किए हैं। इन अधिकारियों पर पीएमएलए (PMLA) की धारा 50 के तहत नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन अब तक कोई भी अधिकारी ईडी के समक्ष पेश नहीं हुआ है।
ईडी की यह कार्रवाई राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW)/ACB द्वारा दायर चौथे पूरक आरोपपत्र के आधार पर हुई है, जिसमें इन सभी अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
शुरुआती अनुमान में यह घोटाला 2,161 करोड़ रुपये का बताया गया था, लेकिन बाद की गहन जांच में इसकी राशि 3,200 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। EOW की जांच के अनुसार पार्ट A में ₹319.32 करोड़, पार्ट BAT में, ₹2,174.67 करोड़ और पार्ट C में ₹70 करोड़ रुपए की राशि शामिल हैं।
ईडी सूत्रों के अनुसार, नोटिस भेजे जाने के बाद भी इन अधिकारियों ने समन को नजरअंदाज़ किया है। यदि आगे भी सहयोग नहीं मिला तो ईडी कोर्ट से गैर-जमानती वारंट जारी करने की सिफारिश कर सकती है। अधिकारियों की चुप्पी को जांच से बचने की रणनीति माना जा रहा है।
जिन 30 अधिकारियों को समन जारी हुआ है, उनमें 1 अतिरिक्त आबकारी आयुक्त आशीष श्रीवास्तव, 5 उपायुक्त – अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, नीतू नोतानी ठाकुर, नोबर सिंह ठाकुर, 14 सहायक आयुक्त (3 सेवानिवृत्त)- प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, आलेख राम सिदार, आशीष कोसम, राजेश जयसवाल, सेवानिवृत्त: जी.एस. नुरूटी, वेदराम लहरे, एल.एल. ध्रुव, 7 जिला आबकारी अधिकारी (4 सेवानिवृत्त): इकबाल खान, मोहित जयसवाल, गैरीपाल सिंह दर्डा, सेवानिवृत्त- ए.के. सिंह, जे.आर. मंडावी, देवलाल वैध, ए.के. अनंत, 3 सहायक जिला आबकारी अधिकारी- जनार्दन कौरव, नितिन खंडूजा, मंजूश्री कसार शामिल हैं।
इन सभी पर आरोप है कि 2019 से 2023 के बीच, ये अधिकारी 15 जिलों में पदस्थ रहते हुए भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बने और अवैध शराब बिक्री, डुप्लीकेट होलोग्राम, नकली बिलिंग व टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी जैसे कामों में शामिल रहे।
ईडी और EOW के द्वारा अब तक की कुल कार्रवाई में पाँच आरोपपत्र और तेरह गिरफ्तारियाँ हो चुकी है। जेल में बंद लोगों में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर और विशेष सचिव (आबकारी) अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं।
इस महीने की शुरुआत में एक बड़ा घटनाक्रम तब सामने आया जब EOW ने पूर्व आबकारी आयुक्त और आईएएस अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार किया। दास पर पीसीए की धारा 7 और 12 के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षडयंत्र की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। विभाग प्रमुख के रूप में, दास पर नीतियों में हेराफेरी करने, सरकारी दुकानों के माध्यम से अवैध बिक्री की अनुमति देने, निविदाओं और स्थानांतरणों में हेराफेरी करने और अवैध लाभ के लिए डुप्लिकेट होलोग्राम की सुविधा प्रदान करने का आरोप है।
जांचकर्ताओं का आरोप है कि दास ने टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के साथ मिलकर एक समानांतर ढाँचा बनाने की साजिश रची जिसने व्यवस्थित रूप से आबकारी राजस्व की लूट की। वह झारखंड में भ्रष्टाचार के छत्तीसगढ़ मॉडल को दोहराने के प्रयासों से भी जुड़े हैं। जनवरी 2022 में, निरजंन दास कथित तौर पर राज्य के अधिकारियों के साथ एक बैठक में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने नीतिगत बदलावों पर जोर दिया, जिसके कारण राज्य के राजस्व में भारी नुकसान हुआ।
ईडी और EOW दोनों से जुड़े सीनियर अधिकारी के मुताबिक नवीनतम समन आबकारी प्रतिष्ठान पर शिकंजा कसने की दिशा में “एक महत्वपूर्ण चरण” है, जो एक ऐसे नेटवर्क की ओर इशारा करता है जिसने कथित तौर पर अभूतपूर्व पैमाने पर भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दिया है।

