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युक्तियुक्तकरण पर गरमाई सियासत : कांग्रेस ने सरकार के फैसले को बताया जनविरोधी, चरणबद्ध आंदोलन का किया ऐलान

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रायपुर : राज्य में शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे युक्तियुक्तकरण को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस ने इस फैसले को जनविरोधी करार देते हुए इसके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि यह निर्णय लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, जिसे पार्टी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस से होगा आंदोलन की शुरुआत

कांग्रेस 5, 6 और 7 जून को राज्य के सभी जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के इस फैसले का विरोध जताएगी। कांग्रेस का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण की आड़ में 10,463 स्कूलों को बंद करने की तैयारी की जा रही है, जिससे ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की पहुंच प्रभावित होगी।

BEO और DEO कार्यालयों का घेराव

आंदोलन के अगले चरण में कांग्रेस 9, 10 और 11 जून को ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालयों का घेराव करेगी। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालयों तक 3 से 5 किलोमीटर लंबी जन-जागरूकता यात्रा निकाली जाएगी। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल रहेंगे।

दीपक बैज करेंगे आंदोलन का नेतृत्व

PCC अध्यक्ष दीपक बैज स्वयं इस आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा कि यह केवल शिक्षकों की नौकरी का सवाल नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के बच्चों के भविष्य की लड़ाई है। उन्होंने जनता से इस अभियान में साथ आने की अपील भी की।

कांग्रेस के आरोप

कांग्रेस का कहना है कि सरकार की इस नीति से

  • ग्रामीण स्कूलों पर असर पड़ेगा
  • हजारों शिक्षक बेरोजगार हो सकते हैं
  • छात्रों की शिक्षा बाधित होगी
    पार्टी का कहना है कि जरूरत स्कूल बंद करने की नहीं, बल्कि संसाधनों में बढ़ोतरी और शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की है।

सरकार का बचाव: ‘स्कूल बंद नहीं, हो रहा है विलय’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा, “यह युक्तियुक्तकरण है, स्कूल बंद करना नहीं। दो स्कूलों को एकीकृत किया जा रहा है ताकि संसाधनों और शिक्षकों का बेहतर उपयोग हो सके।” उन्होंने यह भी कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

जनता किसके साथ?

जहां कांग्रेस इसे ग्रामीण शिक्षा के खिलाफ साजिश बता रही है, वहीं बीजेपी सरकार इसे एक प्रशासनिक सुधार मान रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसके पक्ष में खड़ी होती है – पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था के या सुधारवादी नीति के।

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