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THE INSIDE STORY:तिरछी नजर👀:सब कुछ अब निकाय चुनाव के बाद

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THE INSIDE STORY:तिरछी नजर👀:सब कुछ अब निकाय चुनाव के बाद

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रायपुर आए, तो सीएम विष्णु देव साय, प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन,अजय जामवाल, और पवन साय के साथ अलग से मीटिंग की।
मीटिंग के बाद जो बात छनकर निकली है उसके मुताबिक निगम -मंडलों में नियुक्ति अब निकाय चुनाव के बाद की जाएगी। इस बात पर भी सहमति बन रही है कि जो पहले 10 साल पद पर रहे हैं, उन्हें निगम-मंडलों में फिर से नियुक्ति नहीं दी जाएगी। चाहे कुछ भी हो, जनवरी तक नियुक्ति टल गई है।

सीएम हाऊस में नई नियुक्ति

भाजपा के रणनीतिकार मान रहे हैं सत्ता और संगठन में तालमेल बेहतर नहीं है। जो काम सीएम आफिस से होने चाहिए, वैसा कुछ नहीं हो पा रहा है। कुछ सीनियर नेताओं और विधायकों ने अपनी बात रखी है।

शिकायतों का असर यह हुआ कि अब सत्ता और संगठन में समन्वय बनाए रखने के लिए एक अफसर की नियुक्ति की होने जा रही है। ऐसे समन्वयवादी अफसर की खोज शुरू हो गई है।

भाजपा विधायकों का गुस्सा

भाजपा विधायक दल की बैठक में कई विधायकों ने काम नहीं होने की शिकायत की। यही नहीं, अफसरों द्वारा सिफारिशों को नजर अंदाज करने की भी बात कही गई।
और जब पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने बैठक में काम नहीं होने की बात कही, तो डॉ रमन सिंह सरकार के बचाव में सामने आ गए। उन्होंने अजय चंद्राकर से कहा कि आपका काम कौन रोक सकता। सत्ता हो या विपक्ष,आप अपना काम करा लेते हैं। इसके बाद अजय खामोश हो गए।
कुछ शिकायतें गंभीर रहीं,जिसको लेकर आने वाले दिनों में सरकार एक्शन ले सकती है।

रायपुर एसपी की पोस्टिंग से गृहमंत्री अनभिज्ञ!!!
रायपुर एसपी संतोष सिंह की जगह कोरिया एसपी लाल उमेंद सिंह की पोस्टिंग हुई, तो कई लोग चौंक गए। इसकी वजह यह थी कि लाल उमेंद सिंह, भूपेश सरकार में कवर्धा एसपी रहे हैं। उस समय विजय शर्मा, लाल उमेंद सिंह से संतुष्ट नहीं थे।
लाल उमेंद सिंह की अब रायपुर एसपी बने हैं, तो चर्चा है कि वो गृहमंत्री की पसंद नहीं है। कहा जा रहा है कि लाल उमेंद सिंह की पोस्टिंग में सीधे सीएम हाऊस की दखल रही है। अब वो कैसा काम करते हैं, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।

मिलर्स की हड़ताल के पीछे क्या…

प्रदेशभर के राईस मिलर्स बकाया भुगतान मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। इस वजह से मिलिंग ठप्प हो गई है और धान का उठाव नहीं हो रहा है।
ऐसा नहीं है कि मिलर्स की मांगों पर विचार नहीं किया गया। कैबिनेट में इस पर बात हुई और वित्त मंत्री ने बताया कि ये बकाया कांग्रेस शासन काल के समय की है। मिलिंग की राशि बढ़ाने के एवज में मिलर्स से उगाही की गई। ईडी-एसीबी
इसकी जांच कर रही है। जांच पूरी हुए बिना भुगतान उचित नहीं होगा। बाकी मंत्रियों ने भी इस पर सहमति जताई।
दूसरी तरफ, चर्चा ये भी है कि सारी मांगों को पूरा करवाने के नाम पर मिलर्स से वसूली भी हो गई। यह राशि करीब 10 सीआर के आसपास बताई जा रही है। इसमें कितनी सच्चाई है यह तो पता नहीं, लेकिन वसूलीकर्ता लोगों के नाम बाजार में आ गए हैं। इसकी भनक सरकार को भी है। अब आगे क्या होता है, यह देखना है।

सीईसी के लिए जोड़-तोड़

सीईसी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकल चुका है। इसके लिए कई रिटायर्ड अफसर जोड़ तोड़ कर रहे हैं। इन्हीं में एक रिटायर्ड अफसर के एक डॉक्टर और एक बिल्डर भी लाबिंग कर रहे हैं।
बिल्डर तो ज्यादा मदद की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं क्योंकि वो खुद भी जांच के घेरे में आ गए हैं। मगर रिटायर्ड अफसर ने कोई कसर बाकी नहीं रखी है। इसी तरह राज्य छोड़ चुके एक अन्य रिटायर्ड अफसर ने भी सीईसी के लिए जुगाड़ लगाया है। सरकार क्या सोचती है, यह तो नाम सामने आने के बाद ही पता चलेगा।

 

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