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फिर सूरजपुर सुर्खियों में… 100 एकड़ सरकारी जमीन पर धान की फसल काटने को लेकर ग्रामीण और रसूखदारो के बीच जमकर हुआ विवाद

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फिर सूरजपुर सुर्खियों में… 100 एकड़ सरकारी जमीन पर धान की फसल काटने को लेकर ग्रामीण और रसूखदारो के बीच जमकर हुआ विवाद

सूरजपुर।100 एकड़ सरकारी जमीन पर धान की फसल काटने को लेकर ग्रामीणों और दस रसूखदारों के बीच विवाद हो गया। इस विवाद के बाद रसूखदारों ने सात ग्रामीणों पर हमला कर दिया और मौके से फरार हो गए। पुलिस ने हमले में शामिल चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल यह पूरा मामला सूरजपुर जिले के बसदेई थाना क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत जूर का हैं,जहाँ 100 एकड़ सरकारी जमीन पर धान की फसल काटने को लेकर

ग्रामीणों और दस रसूखदारों के बीच विवाद हो गया, इस हमले में सुरेंद्र और सुरेश साहू के सिर में गंभीर चोटें आई। तीन अन्य ग्रामीणों के साथ दो महिलाएं भी घायल हो गई। घटना से गांव में तनाव का माहौल है। इलाके में 90 से अधिक पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं और बाहरी लोगों के लिए गांव में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया हैं।पच्चीस साल पहले भैयाथान से सटे जूर गांव में चरागाह के लिए निर्धारित 100 एकड़ सरकारी जमीन पर गांव के ही दस दबंग लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था। धीरे-धीरे उन्होंने उस जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया और उस पर मकान बना लिए। इस कारण से गांव का
चरागाह खत्म हो गया, जिससे ग्रामीणों को अपने मवेशी चराने में दिक्कत होने लगी। इसके बाद उन्होंने इस कार्रवाई का विरोध किया। कुछ दिनों बाद, राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके अपराधियों ने धोखाधड़ी करके पट्टा हासिल कर लिया। इसके विरोध में ग्रामीणों ने 15 से अधिक बार विरोध प्रदर्शन किया, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।बीस दिन पहले ग्रामीणों ने कलेक्टर को आवेदन देकर अतिक्रमण हटाने की मांग की थी और फसल काटने की चेतावनी दी थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बीते सोमवार को गांव में धान काटने के लिए मुनादी कराई गई। बीते मंगलवार की सुबह 400 ग्रामीण सरकारी जमीन पर दबंगों द्वारा लगाए गए धान को काटने पहुंचे। शाम तक उन्होंने 100 एकड़ से धान काट लिया। इसके बाद दबंगों ने ग्रामीणों के साथ मारपीट की। ग्रामीणों को पता चला कि दबंगों ने फर्जी पट्टे

बनाकर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है, जिसके बाद उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले को तहसील न्यायालय, एसडीएम न्यायालय और यहां तक कि कलेक्ट्रेट न्यायालय में भी उठाया गया, लेकिन कब्जे को चुनौती नहीं दी गई। सरपंच सुंदर सिंह ने अवैध कब्जे को हटाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की। वहीं बढ़ते तनाव को देखते हुए दबंगों ने जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए बिलासपुर

हाईकोर्ट में अपील दायर की है। मामला कोर्ट में होने के कारण प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। गांव में बढ़ते तनाव मारपीट की।

को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, लेकिन पुलिस अपने वाहनों में ही बैठी रही। शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए पटवारी ओमप्रकाश नेताम भी मौके पर पहुंचे। आखिर में सब्र का बांध टूटने पर ग्रामीणों ने पटवारी की जमकर पिटाई कर दी।

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