CHATTISGARH WATCH:तिरछी नजर : घोटाला भारी पड़ रहा
कोल और महादेव आन लाईन सट्टा केस के आरोपी कानूनी लड़ाई लड़ते पस्त पड़ गए हैं। हाल ही में एक हवाला कारोबारी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत तो मिल गई, लेकिन यह कानूनी लड़ाई काफी मंहगी पड़ी।
कारोबारी के करीबी लोगों ने हिसाब किताब निकाला कि एक लाख रुपए हवाला करने के एवज में कारोबारी को चार सौ रूपए मिलता हैं। यदि एक हजार करोड़ हवाला किए गए होंगे, तो कारोबारी को 4 करोड़ मिला होगा। मगर अब तक जिले से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वकीलों की फीस पर ही 7 करोड़ खर्च हो चुके हैं। जमानत होने के बाद भी पूरी तरह राहत नहीं मिली है। खुद को निर्दोष साबित करने के लिए अभी भी काफी लड़ाई लड़़नी होगी। तमाम तक खर्चे का मीटर चालू रहेगा।
मूणत को गुस्सा क्यों आता है..
वैसे तो पूर्व मंत्री राजेश मूणत अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। मगर कई बार उनका गुस्सा छलक जाता है।
पिछले दिनों जिले के प्रशासनिक अफसरों से इतने खफा हुए कि वो स्वच्छता अभियान के कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए। वो सीएम के कहने के बाद भी नहीं रूके और यह कहकर निकल गए कि उन्हें अपने क्षेत्र में किसी और कार्यक्रम में जाना है।
जाते-जाते एक बड़े अफसर की तरफ इशारा करते हुए कि उन्हें रायपुर दक्षिण से प्रत्याशी बना दिया जाना चाहिए।
बात यहीं खत्म नहीं हुई ।प्रदेश के सबसे बड़े डब्ल्यूआरएस मैदान के दशहरा उत्सव आयोजन समिति के लोग उन्हें मुखिया बनाने का प्रस्ताव लेकर गए थे तो मूणत ने यह कहकर लौटा दिया मैं अपने अंदर का रावण नहीं मार रहा हूं । ये बात अलग है कि मंत्री रहते पिछले 15 साल डब्ल्यू आर एस मैदान के दशहरा उत्सव की कमान संभालते रहे हैं।
जामवाल को महाराष्ट्र में बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा के क्षेत्रीय महामंत्री अजय जामवाल को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी गई है। जामवाल को पुणे के आसपास के 18 विधानसभा क्षेत्रों के संगठन की जिम्मेदारी दी गई है।
जामवाल एक बार वहां जाकर बैठक भी ले चुके हैं। वो चुनाव निपटने तक वहां रहेंगे। लिहाजा, रायपुर दक्षिण उपचुनाव की कमान महामंत्री पवन साय ही अकेले संभालेंगे। साय रायपुर दक्षिण में कब्जा बरकरार रखने लिए सांसद बृजमोहन अग्रवाल के साथ मिलकर रणनीति तैयार कर रहे हैं। एक हफ्ते में महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो जाएगी।
बाबा सिद्दीकी का छत्तीसगढ़ से नाता
महाराष्ट्र में एनसीपी अजीत पवार गुट के नेता दिवंगत पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी का छत्तीसगढ़ से नाता रहा है। उन्हें कांग्रेस ने रायपुर लोकसभा का प्रभारी बनाया था लेकिन बाद में पार्टी छोड़कर एनसीपी अजीत पवार गुट में शामिल हो गए।
इससे पहले बाबा सिद्दीकी कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने रायपुर आए थे।उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। बाबा सिद्दीकी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अधिवेशन खत्म होने से एक दिन पहले ही मुंबई वापस मुंबई चले गए थे। उस वक्त से दोनों पार्टी छोड़ने का हल्ला शुरू हो गया था। जो बाद में सच साबित हुआ।
अशोक चव्हाण भाजपा और बाबा सिद्दीकी अजीत पवार की एनसीपी में शामिल हो गए। फिर भी बाबा सिद्दीकी के कांग्रेस और भाजपा नेताओं से मधुर संबंध रहे। उनकी हत्या से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता भी स्तब्ध रह गए।
राव जैसा कोई नहीं
हेड आफ फारेस्ट फ़ोर्स के पद पर पीसीसीएफ वी श्रीनिवास राव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। राव सबसे जूनियर हैं।बावजूद इसके भूपेश सरकार ने उन्हें हेड आफ फारेस्ट फ़ोर्स बना दिया था।
दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा की कमेटी ने सरकार से चर्चित आरा मशीन घोटाले पर कार्रवाई की जानकारी मांगी है। इस घोटाले में राव भी आरोपी थे। कमेटी ने सरकार से पूछा है कि आखिर घोटालेबाजों को क्यों बरी किया गया? यही नहीं, यह भी जानकारी चाही है कि घोटाले की रकम वसूली के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
सरकार ने अब तक रिमांइडर का जवाब नहीं भेजा है। मगर राव और विभाग के बेफिक्र है। पूरा अमला वन खेलों के आयोजन में लगा है। इस आयोजन के नाम भी पर खूब ‘खेला ‘ हुआ है। मगर राव और आर एन सिंह जोड़ी के आगे पूरा विभाग नतमस्तक नजर आ रहा है।
दक्षिण में भाजपा से कौन?
रायपुर दक्षिण से भाजपा में प्रत्याशी कौन होगा, इस नजर लगी हुई है। यह भी पूछा जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल की पसंद पर मुहर लगेगी या नहीं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि हरियाणा चुनाव नतीजे के बाद सारे समीकरण बदल गए हैं। पार्टी कोई नया चेहरा उतार सकती है। यानी बृजमोहन अग्रवाल की पसंद को दरकिनार किया जा सकता है। चर्चा है कि अगले हफ्ते नाम घोषित किए जा सकते हैं।