भाषाएं नहीं बनी बाधा, भावों से रामकथा का लोगों ने लिया आनंद
रायपुर । राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में आज कंबोडिया से आए विदेशी कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। महोत्सव में मर्यादा पुरूष श्रीराम के सुंदर चरित का कंबोडियाई भाषा से लेकर देश की विभिन्न भाषाओं में मंचन किया जा रहा है।
कई भाषाएं स्थानीय दर्शकों के लिए अनबुझ है लेकिन कलाकारों के भावों से ही लोग रामायण के अरण्यकाण्ड के विभिन्न प्रसंगों का आनंद उठा रहे हैं। यह पहली बार है कि प्रदेश में देश-विदेश से आए कलाकार अपने स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप रामायण प्रस्तुत कर रहे हैं।
कर्नाटक के कलाकारों ने कन्नड़ भाषा में सीताहरण का किया मंचन
कर्नाटक की टीम ने कन्नड़ भाषा में रावण द्वारा सीताहरण के मार्मिक दृश्य को नृत्य-नाटिका के माध्यम से मंचन किया। उनकी वेशभूषा और मुकुट को देख दर्शकों में एक अलग उत्साह का संचार हुआ। महोत्सव में देश-विदेश से आये रामायण के कलाकारों ने रामकथा की प्रस्तुति अपने स्थानीय भाषाओं में दे रहे हैं। कन्नड़ में यक्षगान की सुंदर परंपरा रही है। रामकथा की प्रस्तुति में शास्त्रीय परंपरा के साथ ही स्थानीय स्तर पर चल रही कला परंपरा को शामिल किया गया है। कन्नड़ भाषा में रामायण प्रस्तुति के दौरान संस्कृत भाषा का गहरा प्रभाव दिखा।
शणमुख के गीतों पर झूमे श्रोता
महोत्सव में आज मुंबई से आई ख्याति प्राप्त गायिका शणमुख प्रिया ने अपनी जादुई आवाज से दर्शकों का मन मोह लिया। भगवान श्रीराम को समर्पित गीतों से दर्शक झूम उठे और पूरा प्रांगण राममय हो गया। शणमुख प्रिया ने जय जोहार और छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के साथ श्रोताओं का अभिवादन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं पहली बार छत्तीसगढ़ आई हूं, मुझे यहां बहुत अच्छा लग रहा है। साथ ही शणमुख ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के भव्य आयोजन के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने ‘देवा श्री गणेशा’ गाने के साथ अपनी प्रस्तुति की शुरूआत की और ‘श्री शिव तांडव’, ‘सिया राम जय राम जय-जय राम’ जैसे भजन गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
एलईडी स्क्रीन से रामायण का आनंद उठा रहे दर्शक
साथ ही रामायण प्रस्तुति के दौरान विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्र और संस्कृत भाषा का सुमधुर प्रभाव भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मंच के साथ-साथ दर्शक एलईडी स्क्रीन से रामायण के मंचन का आनंद उठा रहे हैं। दक्षिण भारत की सुमधुर संगीत को कलाकार विशिष्ट रूप से प्रदर्शित कर रहे है। जितनी सुंदरता के साथ कलाकार प्रदर्शन कर रहे हैं, उतनी ही आकर्षक प्रस्तुति वाद्ययंत्रों से दे रहे हैं। रामकथा केवल लोगों को प्रेरित ही नहीं कर रही बल्कि उन्हें कला की सूक्ष्मताओं को भी बता रही है। दर्शकों के लिए यह सुंदर अनुभव है। इसी कड़ी में उत्तराखंड के कलाकारों ने अरण्यकांड पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। उन्होंने शूर्पणखा की नाक कटने के प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया।
सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध भजन गायक श्री शरद शर्मा ने भगवान राम के भक्तिमय गीतों पर प्रस्तुति दी। इस अवसर पर सभी कलाकारों को राजकीय गमछा और रामचरित मानस की प्रति भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, स्कूल शिक्षा डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, विधायक लालजीत सिंह राठिया और प्रकाश शक्राजीत नायक, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक सहित अनेक जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।