BIG NEWS : गुजरात से लिंचिंग का एक और मामला सामने आ रहा है, यहाँ छत्तीसगढ़ के एक 30 वर्षीय प्रवासी श्रमिक को सोमवार की तड़के खेड़ा जिले के महमदवाद तालुका के सुंधा-वांसोल गांव में पीट-पीट कर मार डाला गया। दो दिनों में यह दूसरी बार है जब भीड़ ने शहर के पास एक मजदूर की पीट-पीटकर हत्या कर दी, क्योंकि उसे चोर समझ लिया गया था। वहीँ बता दें कि रविवार को साणंद तालुका के जीवनपुरा गांव में एक नेपाली व्यक्ति कुलमन गगन (35) को 10 लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर का निवासी था मृतक
खेड़ा पुलिस अधिकारियों के मुताबिक रामकेश्वर खेरवार छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रहने वाले थे। वह अहमदाबाद में हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट पर काम करने आए थे। खेड़ा के प्रभारी एसपी वीआर बाजपेयी ने कहा, “खेरवार 17 मार्च को अहमदाबाद आए थे और अपने पूर्व पर्यवेक्षक मनीष सिंह से मिले थे, जिनके साथ उन्होंने करीब एक साल पहले काम किया था।”
घटना का वीडियो भी वायरल
बाजपेयी ने कहा कि चूंकि सिंह इस बार उन्हें काम नहीं दे सके, इसलिए खेरवार ने अपने पैतृक स्थान लौटने का फैसला किया। सिंह द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, खेरवार सोमवार को करीब 12:30 बजे गांव पहुंचे, जिसके बाद उन्हें बांधकर पीटा गया। इस घटना का एक वीडियो जो वायरल हुआ है, उसमें खेरवार को गंभीर रूप से घायल, जमीन पर पड़ा हुआ दिखाया गया है।
चार लोग गिरफ्तार
बाजपेयी ने कहा, “यह अभी भी एक रहस्य है कि वह सुंधा-वनसोल गांव कैसे पहुंचा और भीड़ द्वारा उसकी हत्या कर दी गई। हमने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने हमें बताया कि उन्होंने चोर समझकर उस पर हमला किया।”
इलाज के दौरान मौत
उन्होंने कहा कि गांव के किसी व्यक्ति ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया। महमदावद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो खेरवार की हालत गंभीर थी। खेरवार को पहले महमदावद सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें अहमदाबाद सिविल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। वहां सोमवार की सुबह करीब साढ़े छह बजे उसकी मौत हो गई।
पुरे शरीर पर मिले चोट के निशान
प्राथमिकी में कहा गया है कि खेरवार के पूरे शरीर पर चोट के निशान थे और मारपीट से उनकी त्वचा लगभग छिल गई थी। उसके सिर में भी गहरा घाव था। महमदावद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा और हत्या का मामला दर्ज किया है। वाजपेयी ने कहा कि उन्होंने उनके शरीर को संरक्षित कर लिया है और उनके परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे अहमदाबाद आकर शव को प्राप्त कर सकें।
गुजराती नहीं आने से नहीं था संवाद
मामले के जांच अधिकारी, इंस्पेक्टर एन एम पांचाल ने कहा कि खेरवार पहले बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम कर चुके थे और फिर से काम पर लौट आए थे। पुलिस सूत्रों ने कहा कि खेरवार ग्रामीणों के साथ संवाद करने में असमर्थ थे क्योंकि वे गुजराती बोल रहे थे जिसे वह समझ या बोल नहीं सकते थे।
27 मई को हुई थी ऐसी ही वारदात
महमदावद और इसके आसपास के इलाकों में भीड़ के उन्माद की घटनाएं पहले भी हुई हैं। 27 मई 2022 को सरसावनी गांव के लोगों ने रास्ता भटक गए एक कैब चालक का पीछा किया। उस समय इलाके में रहने वाले लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर ‘बच्चा चोरों’ और चोरों की अफवाहें उड़ रही थीं। रविवार की सुबह, अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस ने नेपाली कार्यकर्ता को पीट-पीट कर मार डालने के आरोप में दस लोगों को गिरफ्तार किया।