रायपुर : राजधानी के माना कैंप स्थित शदाणी दरबार तीर्थ में चल रहे 63 वर्षी महोत्सव के अंतिम दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु अरदास कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे वहीं पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुर से 329 सदस्यों का एक जत्था तीर्थ स्थल के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचा हुआ है इस जत्थे में सर्वाधिक संख्या में 119 महिलाएं शामिल है और 200 से करीब पुरुष की संख्या है जो पिछले 3 दिनों से शदाणी दरबार तीर्थ स्थल में परंपरा के अनुसार कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं इन पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिंदू दर्शनार्थियों से छत्तीसगढ़ वॉच की टीम ने मुलाकात की और वर्षी उत्सव के साथ महत्व और ऐतिहासिक पक्ष को लेकर बातचीत की इस दरमियान चर्चा में दर्शनार्थियों ने भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों की प्रशंसा व चर्चा करते हुए कहा कि वे हर वर्ष हिंदुस्तान आते हैं और पारंपरिक धार्मिक त्योहारों में भाग लेते हैं उन्हें अच्छा लगता है और यहां आकर अपनेपन का एहसास मिलता है इन दर्शनार्थियों ने कहां की घर आकर सभी को अच्छा ही लगता है भारत उनका घर है यह बात और है कि सन 47 में विभाजन के दौरान उनका संप्रदाय का एक बड़ा समूह पाकिस्तान में बस गया और काफी लोग हिंदुस्तान में आकर बस गए इसलिए यह समझना गलत होता है कि सिंधु संप्रदाय पाकिस्तान के हैं इसलिए संदिग्ध सकते हैं इस धारणा को खतम और मिटाना चाहिए तभी दोनों देश के मध्य आपसी सौहार्द और अपनत्व का भाव सामने आ सकेगा
इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ वॉच की टीम से बातचीत करते हुए मीरपुर माथी लो के व्यापारी विक्की शदाणी जो कि वहां पर ऑटो पार्ट्स का व्यवसाय करते हैं शदाणी दरबार रायपुर में सेवादार के तहत तीर्थ स्थल में धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं उन्होंने बताया कि सिंध प्रांत में संख्या कम है इसलिए अल्पसंख्यक समझा जाता है वह हिंदुस्तान में सिंधु संप्रदाय के लोग अधिक हैं इसलिए बहुसंख्यक हैं उनका मानना है कि पिछले दिनों मोदी सरकार ने सात दिवस की विशेष वीजा की जो घोषणा की है उस पर क्रियान्वयन जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान में सिंधु संप्रदाय के लाखों पूर्वजों की अस्थियां मंदिरों में रखी है इन पूर्वजों के परिवार वाले भारत के पवित्र तीर्थ स्थल नदिया गंगा मथुरा में आकर विसर्जन की अनुमति चाहते हैं भारत की सरकार ने इस पर पहल करते हुए एक ऐतिहासिक कदम भी उठाया है और 7 दिन के विशेष वीजा की घोषणा की है ताकि सिंध प्रांत पाकिस्तान के लोग भारत आकर अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन कर पाए यह घोषणा केवल अभी कागजों पर है जिसे वैधानिकता देने की आवश्यकता है इसीलिए यहां पर पहुंचे पाकिस्तान के नागरिकों ने यह अपील की है मोदी सरकार से की उस घोषणा को जल्द ही क्रियान्वित किया जाए इससे कई सिंध प्रांत के परिवार और उनके रिश्तेदार अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित करने बहुत सकेंगे इन दर्शनार्थियों ने बताया की भारत में टूरिस्ट वीजा को अनुमति जल्द नहीं मिल पाती है हालांकि पारिवारिक लोगों से मिलने के लिए एक नियम प्रक्रिया के तहत विशेष बांड भरा कर जल्द अनुमति मिल जाती है लेकिन यह अनुमति चयनित जिले राज्य में रहने वाले पारिवारिक जनों से ही मुलाकात हो पाती है परंतु यह दर्शनार्थी चाहते हैं कि ना केवल भारत में परिवारों के मिलन की परंपरा को बढ़ाया जाए बल्कि हिंदुस्तान के अन्य पवित्र स्थलों में भी जाने की अनुमति मिल जाए जो ऐतिहासिक होगा
सन 1947 से अवशेष मंदिरों में रखी है
सिंध प्रांत के दो और दर्शनार्थी जो मेडिकल स्टोर और बेकरी का काम करते हैं का कहना था कि साईं के दरबार में आकर काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं पाकिस्तान में महंगाई काफी अधिक है इसलिए अब सुरक्षा का वातावरण बचा नहीं है चोरी डकैती अपहरण जैसे मामले बढ़ रहे हैं विशेषकर सिंध प्रांत के लोग ऐसी घटनाओं से भयभीत रहते हैं
दर्शनार्थी विक्की शदाणी का कहना है कि सन 1947 के बाद से पुरुषों की अस्थियां विसर्जित नहीं हो पाई है क्योंकि सिंध प्रांत के कई परिवार के रिश्तेदार भारत में रहते हैं और भारत में ही उनका जन्म हुआ इसलिए चाहते हैं पूर्वजों का भी अंतिम संस्कार उनके जन्म स्थल में हो