0 बडे व छोटे झूलो की चेकिग नही, प्रशासन व संस्था बडी दुर्घटना का कर रही इंतजार
00 कार्यकर्ताओ के अपमान पर साधी चुप्पी
रविन्द्र मुदिराज
राजनांदगांव। स्थानीय स्टेट हाईस्कूल मैदान मे आयोजित 24 फरवरी से 02 मार्च तक चलने वाले आठ दिवसीय स्वदेशी मेले को लेकर राजनांदगांव शहर से राजधानी तक तरह तरह की चर्चाए चल रही है। इस चर्चा को बल उस समय मिला, जब कार्यक्रम के प्रथम दिन ही प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव व संतोष पान्डे की उपस्थिति में सम्पन्न हुए कार्यक्रम की अव्यवस्था को लेकर सवाल उठते नजर आये। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव व सांसद सन्तोष पान्डे स्वदेशी की अवधारणा व उसके महत्व पर प्रकाश डालते रहे, वही स्टालो पर चायना आईटम तथा विदेशी उत्पादो की दुकाने सजी रही। कार्यक्रम के अन्य विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद अशोक शर्मा, प्रदीप गांधी पूर्व सांसद, रमेश पटेल जिला भाजपाध्यक्ष राजनांदगांव के साथ एक अन्य भी विशिष्ट अतिथि के रुप मे आंमत्रित थे परन्तु स्थल पर देखने यह आया कि कई भाजपा नेता, नेत्रियां के साथ स्वदेशी मेले के स्वागत व आयोजन समिति के मनोनीत प्रमुख ही मंच पर कुर्सी छोडने के लिये तैयार नही थे।यह अलग बात है कि उन्हे सुनने व देखने पचास साठ लोग दर्शक दीर्धा मे उपस्थित रहे।
*राज्यों के उत्पाद व व्यंजन नजर नही आये*
स्वदेशी मेले में पूर्व वर्षों की तरह स्वसहायता समुह अथवा अन्य किसी समुह द्वारा निर्मित स्वदेशी उत्पादो व व्यंजनो की झलक इस बार मेले के स्टाल में नही दिखी। छत्तीसगढ के प्रसिद्ध व्यंजन ठेठरी, खुरमी, चीला, फरहा, अरसा रोटी आदि कही मेले में नजर नही आये। जबकि इस मेले मे अगर इन व्यंजनो के साथ महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश राजस्थान आदि राज्यों के भी व्यंजन भी यहां आने वाली जनता के लिये निर्धारित कीमत पर उपलब्ध होते तो स्वदेशी मेले की सार्थकता होती, परन्तु लगता है कि स्वदेशी मेले के प्रमुख ने स्वदेशी सोच व चिंतन करने वालो को अपने से दूर कर सूटबूट व पाश्चात्य सभ्यता को खास समझने वाले को महत्व दिया तभी यह आयोजन समिति भाजपा के चन्द पार्टी नेताओ तथा चन्द व्यापारियों के हाथ की कठपुतली बन गयी। यह सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि सीबीएमडी से कई सालो से जुडे व राज्य मे विभिन्न स्थानो पर स्वदेशी मेला लगाने वाले प्रबंधक सुब्रत चाकी राजनांदगांव में कैसे चूक गये। इन मुख्य प्रबंधक ने यह भी नही देखा कि कार्यक्रम की रुपरेखा क्या है। प्रथम दिन से लगातार मंच पर तय अतिथियो के अतिरिक्त कई ऐसे लोग भी मंच पर जबरन मंचस्थ थे। जिन्हे स्वदेशी मेले के आयोजक समिति ने अतिथि तय नही किया था पर यह मंच पर चढकर कुर्सी लेकर आसीन हो गये थे। इनके साथ आयोजन समिति के कतिपय लोग भी आसीन हो गये थे जो कुर्सी छोडने तैयार नही थे।भाजपा राज मे काली टोपी वाली तस्वीर छपाने वाले घोषित एक अतिथि भी मंच से गायब थे।मंच पर प्रथम दिन 24 फरवरी 23 को उस समय अजीब वाक्या देखने मिला। जब स्वदेशी मेले के मंच पर सीबीएमडी प्रंबधक की उपस्थिति में विदेशी विचारधारा से ओतपोत व विदेश में जन्मी लायंस क्लब इंटरनेशनल के कतिपय पदाधिकारियों को विशिष्ट कार्य करने वाला बताकर मोमेटो देकर अतिथियो से सम्मानित करवाया गया। राजनांदगांव मे इस संस्था ने विशिष्ट कार्य क्या किया, यह मंच संचालन करने वाले अथवा अन्य ने भी बताना जरुरी नही समझा जिसकी मेले स्थल से चौक चौराहे पर चटकारे लेकर आज तक इसकी चर्चा चल रही है। चारों दिन गिनती के पचास दर्शक जिसमे आधे से अधिक भाजपा नेता व कार्यकर्ता दिखायी दिये। कार्यक्रम के प्रथम दिवस मूलत स्वदेशी मे रचे बसे सांसद अरुण साव व संतोष पान्डे भी एक बारगी चकित रह गये कि यहां यह क्या हो रहा है। वह कह तो नही पाये, परन्तु पता चला है कि इस नये अजीबोगरीब पहल से वह भी नाखुश रहे। यह खबर पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह तक भी पहुंची और यही वजह रही कि दूसरे दिन के कार्यक्रम में तय अतिथि के रुप मे आकर वह भी बहुत कम समय देकर बिना स्टालो का मुआयना किये चले गये। अब स्वदेशी मेले में भाजपा के नेताओ के संयोजक व सह सँयोजक आदि बनाने से काँग्रेस के विभिन्न मनोनीत व निर्वाचित नेताओ ने दूरी बनाना भी बेहतर समझा। समिति के आयोजक व उससे जुडे लोगों को मार्गदर्शक व स्वदेशी चिंतन करने वाले लोगो को दूर करने का असर यह हुआ कि स्वदेशी मेले के कार्यक्रमो मे मनमाने तरीके से ऐसे अतिथि बनाये जाने लगे कि आप हमारा खयाल करो, हम आपका खयाल करेगे। यह सब देखकर स्वदेशी मेला स्थल पर आने वाली आम जनता के मन में अनेक सवाल उठने लगे है। स्वदेशी मेले मे कालेज की विभिन्न छात्राए भी मँच पर स्थान नही मिलने से दुखी मन से वापस लौट गयी थी। स्वदेशी मेले में आयोजन समिति द्वारा हर कार्यक्रम को अपने तरीके से कराने को लेकर कुछ कहने पर नही सुनने से अपनी लगातार उपेक्षा से महिला व पुरुष स्वदेशी के पुराने कार्यकर्ता भी आहत है और अपनी पीडा गुप के साथ अन्य जगह भी जाहिर भी कर रहे है। इसके बाद भी अब तक कुछ सुधार नही हो पाया है। स्वदेशी मेला समिति मे कई ऐसे भी लोग भी अचानक जुड गये है जिनके ऊपर आये दिन सवाल उठते रहे है। मीडिया की चर्चा करे तो शहर के चन्द जागरुक पत्रकारो को छोडकर कई ने विज्ञापन या किसी बडे स्वार्थ के चक्कर मे ऐसी लगातार हो रही गलतियो पर कुछ न छापकर अथवा गुपो मे लिखकर आम जनता को सच्चाई से वंचित किया है।कुछ तो आयोजकों को बोलकर अतिथि बने है और अपना व एक सीए का सम्मान कराने से नही चुके है।इसको लेकर भी चर्चा चल पडी है।
स्वदेशी मेले मे छत्तीसगढी गीत की जगह फिल्मी गीत जैसे क्या यह तूने कर डाला जैसे बोल वाले गीत चलते रहे और निर्धारित डेसीबल से अधिक शोर भी होता रहा। इसको मापने वाला कोई नही रहा। लोग भी गीत के बोल को लेकर परेशान रहे। राजनांदगांव जिला प्रशासन सोच रहा है कि स्वदेशी मेले को शर्तों के साथ अनुमति देकर हमारी डयूटी खत्म हो गयी । इन शर्तों का स्वदेशी मेला स्थल पर आयोजक कितना ध्यान दे रहे है।यह अनुमति देने वाले अधिकारियो ने जहमत नही उठायी है। प्रशासन ने यहां आज तक किसी अधिकारी की नियुक्ति कर वीडियोगाफी नही करायी कि क्या उनके नियमो का पालन हो रहा है या नही ।मेला स्थल पर जाकर प्रतिदिन एक अधिकारी द्वारा वीडियो शूटिग कर यह जांच कराना भी नही समझा कि वहां लगाये गये भारी भरकम व अन्य झूलो का मेटनेस सही है कि नही।इसके लिये एसडीएम दफ्तर में मेटनेस प्रमाणपत्र जमा किये गये अथवा नही। स्वदेशी मेले में रविवार से राजनांदगांव व आसपास की पब्लिक बडे छोटे बच्चों व महिलाओ के साथ भीड आने लगी है और मेले स्थल पर बिना जांच के चल रहे झूले व अन्य अव्यवस्था पर किसी भी बडे हादसे से इंकार नही किया जा सकता। स्वदेशी मेले के मिक्की माऊस व जंपिग रो मे दुकानदारो ने बडे व छोटे बच्चों को अलग लाईन कर अलग वर्गीकरण करना तक जरुरी नही समझा। उन्हे बस अपने पैसो से मतलब है। इसके चलते बडे बच्चों के साथ छोटे बच्चे भी यहां प्रवेश के बाद उछलते हुए आनन्द के साथ खेल रहे है और अचानक बडे बच्चों के ऊपर से फिसलने पर नीचे बैठा छोटा बच्चा भी चोटिल हो रहे है। यह अलग बात है कि किसी ने अब तक अपने बच्चे के चोटिल होने की अब तक शिकायत नही की है। मेले मे फस्ट एड बाक्स व महिलाओ के लिये पेयजल, बाथरुम की सुविधा दूर दूर तक नजर नही आ रही है। मेला स्थल पर पार्किग भी इतनी अस्त व्यस्त है कि आये दिन लोग अपने वाहन रखने तथा निकालने को लेकर परेशान है और धुल व धक्कामुक्की से परेशान है।यह भी देखने आ रहा है कि स्वदेशी मेले स्टाल में एक ही वस्तु की दो दो दुकानें लगी है। पूर्व मे लगातार दो वर्षों तक यहां स्टाल लगाकर कम कीमत पर सामान उपलब्ध कराने वालो स्थानीय लोगो से सम्पर्क करना तक जरुरी नही समझा गया है। जिन्होने इस बार स्टाल लगाया है वह महंगे स्टाल किराया का हवाला देकर मनमाने दाम पर उत्पाद बेच रहे है और इन सबकी निगरानी कर यह सब देखने वाला कोई नही है।
स्वदेशी पर पचपन का साया
स्वदेशी मेले के प्रथम आयोजन से लगातार नजर आने वाले एक सांसद पचपन वाले मामले को लेकर अकसर चर्चा मे रहते है।स्वदेशी मेले मे उनकी भारी भरकम सकियता को लेकर आज भी तरह तरह की चर्चाए चल रही है।
चायना आइटम पर नाराज हुए भाजपा व बजरँगदल नेता
स्वदेशी मेले मे रविवार देर शाम बजरंगदल के कुछ नेता व भाजपा नेता राधेश्याम गुप्ता के साथ स्वदेशी मेले के उस स्टाल पर पहुंचकर नाराजगी जताते हुए बन्द करने कहा। यह खबर मिलते ही सीबीएमडी के सुब्रत चाकी ने उस स्टाल को परदा डालकर बन्द करवाया। इस स्टाल को भाजपा के एक नेता ने अपने दुकान की पेडिग रखी चायना आइटम को खपाने खोला था। अब यह दुकान हटती है अथवा चलती है। इसको लेकर भी चर्चा जारी है।