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धर्म रूढ़ि नहीं यह अलौकिक ज्ञान है : आचार्य विशुद्ध सागर

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रायपुर।  दिगंबर जैन संत आचार्य विशुद्ध सागर ने कहा कि धर्म रूढ़ि नहीं है बल्कि यह  बहुत बड़ा अलौकिक ज्ञान है। आचार्य विशुद्ध सागर ने यह बातें 29 अक्टूबर 2022 को फाफाडीह स्थित जैन मंदिर परिसर में पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि दुनिया में धर्म के बारे में लोगों की आम धारणा है कि यह रूढि है। मैं दावे के साथ कहता हूं कि धर्म रूढि नहीं बल्कि बहुत बड़ा ज्ञान है। विज्ञान भी धर्म से ही संचालित होता है।

उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि क्या न्यूटन और आइंस्टीन द्वारा प्रदान किए सिद्धांत से पहले इस धरती पर वह क्रियाएं नहीं होती थी जो उन्होंने बताया है। आचार्य विशुद्ध सागर ने कहा कि धर्म त्रय कालिक है। उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उनकी जिज्ञासा को शांत किया। आचार्य विशुद्ध सागर ने बताया कि डाकू बन जाना आसान है पर कोई साधु नहीं बन सकता। साधु बनने के लिए बौद्धिक विकास की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि समाज और देश के विकास के लिए बौद्धिक विकास की आवश्यकता है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को बौद्धिक विकास की ओर आगे बढ़ना होगा।

जैनेश्वरी दिगंबर दीक्षा 6 नवंबर को

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक चलेगा। यह आयोजन फाफाडीह स्थित सन्मति नगर के दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के सत्संग सानिध्य में आयोजित होगा। 31 अक्टूबर को भगवान की माता की गर्भ कल्याणक क्रियाएं संपन्न होगी। 1 नवंबर को भगवान के जन्म कल्याणक की क्रियाएं संपन्न होगी। 2 नवंबर को तप कल्याण, 3 नवंबर को ज्ञान कल्याणक और 4 नवंबर को मोक्ष महापद को प्राप्त करने की क्रिया पूरी कराई जाएगी। 5 नवंबर को पिच्छीका परिवर्तन समारोह आयोजित किया जाएगा। 6 नवंबर को 22 साधुओं के मध्य 3 बाल ब्रह्मचारी भैयाजियों को दिगंबर दीक्षा प्रदान की जाएगी। यह जानकारी प्रदीप जैन पाटनी ने दी।

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