(रायपुर ब्यूरो ) | सुंदर नगर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह में आचार्य पंडित झम्मन शास्त्री ने कहा की सत्य को जानना है तो राजा हरिश्चंद्र से सीखा जा सकता है | सत्य के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया अपने पुत्र रोहित की मृत्यु पर अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी सेव्या रानी से शुल्क लिया, तब जाकर अंत्येष्टि की अनुमति दी | तब स्वर्ग से देवी देवताओं ने फूल बरसाए और कहा कि सतयुग धन्य है कि ऐसे राजा मिले | वही मर्यादा और संयम को समझना है तो भगवान राम को आत्मसात करना होगा, उनके आदर्शों पर चलना होगा | कथावाचक ने कहा कि आज के राजा जिन्हें आप पार्षद, विधायक ,सांसद, कहते हैं | वे किसी आदर्श के बिना किसी संघर्ष के केवल प्रलोभन के दम पर सत्तासीन हो जाते हैं | राजा राम ने राजगद्दी छोड़कर जंगल को इसलिए स्वीकारा, क्योंकि वहां पर आसुरी शक्तियों का तांडव बचा हुआ था | यदि राम राज लाना है तो सभी नेता मंत्रियों को पीड़ित जनता तक पहुंचना होगा, केवल मानस स्पर्धा से राम भगवान का आचरण खुद से समाहित नहीं किया जा सकता घर में बच्चों को संस्कार दें कि कम से कम तुलसी रामायण के पांच दोहे प्रतिदिन पढ़ें और अर्थ को समझें, तभी वह भगवान को समझ पाएंगे | आचार्य शास्त्री ने भारत में शिक्षा नीति बदलने पर भी अपने विचार व्यक्त किए |