नई दिल्ली: राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी तेज हो गई है। इस साल के अंत तक दो नहीं, बल्कि सात राज्यों में विधानसभा चुनाव हो सकते है। इनमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होना तो तय है। इसके अलावा कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर में भी सरकार चुनाव कराने की कोशिश कर रही है।
अगर ऐसा हुआ तो कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में समय से पहले चुनाव होंगे। इनमें से तीन राज्यों की सरकारों का कार्यकाल अगले साल यानी मार्च 2023 और कर्नाटक का मई 2023 में पूरा हो रहा है। वहीं जम्मू कश्मीर में 2019 से ही राष्ट्रपति शासन लागू है। यहां भी चुनाव की प्रक्रिया लंबित है। अब सरकार की कोशिश है कि नवंबर में एक साथ इन सभी राज्यों में चुनाव करा दिए जाएं।
बता दें कि बीजेपी सरकार एक देश एक चुनाव को लेकर काफी गंभीरता से सोच रही है, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। अगर इन सभी सात राज्यों में इसी साल चुनाव हो गए तो अगले साल यानी 2023 में पांच राज्यों में ही चुनाव कराना होगा। वह भी सरकार चाहेगी कि एक साथ संपन्न हो जाए, इससे देश को बार-बार चुनाव के फेर में नहीं पड़ना पड़ेगा। इससे 2023 में सिर्फ एक बार चुनाव कराने की जरूरत पड़ेगी।
इधर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले हफ्ते मेघालय के मुख्यमंत्री कोर्नाड संगमा से फोन पर बात की। भाजपा सूत्रों के मुताबिक नड्डा ने संगमा से समय से पहले राज्य में चुनाव को लेकर बात की है। ये जानने की कोशिश की है कि क्या समय से पहले राज्य में चुनाव कराए जा सकते हैं? अगर ऐसा होता है तो कहीं पार्टी को नुकसान तो नहीं होगा?
वहीं बीजेपी के संगठन मंत्री बीएल संतोष दो दिन की त्रिपुरा यात्रा पर हैं। त्रिपुरा सरकार का कार्यकाल भी अगले साल मार्च में खत्म हो रहा है। ऐसे में यहां भी समय से पहले चुनाव कराने की तैयारी है। बीएल संतोष अपनी इस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी विनोद सोनकर के साथ-साथ गठबंधन दल के नेताओं और विधायकों के साथ भी बैठक करेंगे। कहा जा रहा है कि इस बैठक के जरिए भी वह यह जानने की कोशिश करेंगे कि अगर समय से पहले यहां चुनाव होते हैं तो उसके क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं? बता दें कि दो महीने पहले ही त्रिपुरा में भाजपा ने मुख्यमंत्री बदला है।