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शुरुआत में ही रेडी टू ईट आहार योजना का हाल बेहाल… बैच नंबर, उत्पादन तारीख के बगैर पैकेज्ड फूड की सप्लाई

● विभागीय मंत्री के गृहक्षेत्र में ही योजना की अनदेखी

बालोद।(स्वाधीन जैन) छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट पोषण आहार निर्माण और वितरण की व्यवस्था बदल चुकी है। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में जारी की गई नई पॉलिसी का क्रियान्वयन शुरू हो गया है। आलम यह है कि विभागीय मंत्री अनिला भेड़िया के गृहक्षेत्र में ही रेडी टू ईट आहार योजना का हाल बेहाल है। बालोद जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्लाई किए गए पोषण आहार पैकेटों में न तो बैच नंबर है और न ही उत्पादन की तारीख। मतलब बिना बैच नंबर और उत्पादन तारीख लिखे पोषण आहार की न सिर्फ सप्लाई हो रही बल्कि इसे गर्भवती माताओं व कुपोषित बच्चों को खिलाया भी जा रहा है। महिला बाल विकास विभाग की रेडी टू ईट फूड योजना की गुणवत्ता वैसे तो हमेशा ही सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं, जिसके मद्देनजर रेडी टू ईट फूड निर्माण छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित इकाइयों के माध्यम से किया जा रहा है। बावजूद इसके बिना बैच नंबर और उत्पादन दिनांक के पोषण आहार वितरित किए जा रहे हैं। गौरतलब हो कि उत्पादन तिथि से 3 माह तक की अवधि तक ही रेडी टू ईट फूड सेवन योग्य होती है। ताज्जुब की बात तो यह है कि नई व्यवस्था के तहत महिलाओं व बच्चों को जो पौष्टिक आहार के पैकेट दिए जा रहे हैं, उसमें उत्पादन तारीख का कहीं जिक्र नहीं है।

नई व्यवस्था में गुणवत्ता के दावे बडे़-बडे़, हकीकत इससे दूर ●

नई व्यवस्था में गुणवत्ता के बडे़-बडे़ दावे हो रहे है लेकिन, हकीकत इससे दूर नजर आती है। गुणवत्ता विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी है। पोषण आहार को लेकर अफसर विभागीय मंत्री के गृहक्षेत्र में ही अनदेखी कर रहे है। रेडी टू ईट फूड निर्माण हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एवं फूड सेफ्टी हाईजींन निर्देश 2013 के तहत रायगढ़ की एग्रो फूड कंपनी के साथ अनुबंध हुआ है। बावजूद इसके मनमानी की जा रही है। मामले में अफसरों के अपने-अपने तर्क है, उनका कहना है कि अगर पैकेट में बैच नंबर और उत्पादन दिनांक नही लिखा है तो बोरियो में लिखा होगा।

निर्माता कंपनी नियमो के पालन में कर रही मनमानी ●

जानकारी के अनुसार नियम शर्तो के आधार पर निर्माता कंपनी एग्रो फूड से अनुबंध किया गया है। फूड पेकेट में निर्माण तिथि, बैच नंबर आदि का उल्लेख किया जाना अनिवार्य है। प्रत्येक पैकेज्ड फूड को पैकेजिंग और लेबलिंग नियमों का पालन करना होगा। लेकिन निर्माता कंपनी इसके पालन में मनमानी कर रही है। ऐसे में ये कहना गलत निहि होगा कि राज्य शासन की ये नई व्यवस्था शुरुआती दौर में ही बेदम होने लगी है।

पोषण आहार के लिए इन्हें मिलता है रेडी टू ईट ●

पोषण आहार गर्भवती, शिशुवती महिलाओं, छह माह से तीन वर्ष के बच्चे, कुपोषित बच्चों को दिया जाता है। 450 से 1800 ग्राम आहार दिया जाता है। बता दे कि महिला समूह 49 रुपए किलो की दर से पोषण आहार तैयार करती थी, लेकिन केंद्रीकृत व्यवस्था से इसके दाम भी बढ़ गए है।

√ व्यवस्था अभी शुरू हुई है, पहली बार है। वैसे कोई भी फूड हो एक्सपायरी तीन माह का होता है। बात संज्ञान में आई है तो वेरिफिकेशन कराते है। आहार के गुणवत्ता की जांच शासन स्तर पर होता है, यहां भी हर माह करा रहे है: अजय शर्मा जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग बालोद

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