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दल्लीराजहरा: उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव…हस्ताक्षर सत्यापित

बालोद। दल्लीराजहरा नगरपालिका उपाध्यक्ष संतोष देवांगन की कुर्सी पर खतरा बढ़ता जा रहा है। 27 जून को नगर पालिका दल्लीराजहरा के 27 में से 24 पार्षदों ने उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन कलेक्टर को दिया था। बुधवार को पार्षदों को तलब किया गया। सभी 24 पार्षदों के हस्ताक्षर सत्यापित करवाए गए। अब जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को भेजा जाएगा। वहां से विशेष सम्मेलन की तारीख तय होगी। इसमें मतदान होगा। फिर जो स्थिति निर्मित होगी, उसकी रिपोर्ट शासन को जाएगी। पहले गुरुर फिर गुंडरदेही और अब दल्लीराजहरा में कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से प्रदेश भाजपा के नेता सकते में है। भाजपा जिला संगठन की काफी किरकिरी हो रही है। हालांकि दल्लीराजहरा मामले में डैमेज कंट्रोल के प्रयास भी हुए पर सफलता हाथ नही लगी। जिसके बाद जिलाध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है। किसी नए को भाजपा जिलाध्यक्ष का जिम्मा सौंपने की मांग भी होने लगी है।

फिर गरमाया जिले का सियासी माहौल

नगर पालिका के 24 वार्ड पार्षदों ने उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। जिसमे कांग्रेस के 10 तो भाजपा के 11 पार्षद शामिल है। कांग्रेस भाजपा गठबंधन वाले इस अविश्वास प्रस्ताव के हस्ताक्षर सत्यापित होने के बाद एक बार फिर बालोद जिले का सियासी माहौल गरमा गया है। जिले में मजबूत कांग्रेस के खिलाफ आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य विपक्षी दल के तौर पर कितनी तैयार है भाजपा इसकी भी चर्चा शुरू हो गई है। जिले की राजनीति में सत्ताधारी दल का चरित्र कैसा होगा अभी यह फैसला होना बाकी है, लेकिन विपक्षी भाजपा का मूल चरित्र और उनकी राजनीतिक पिच कैसी रहने वाली है यह तश्वीर साफ होते जा रही है।

कांग्रेस के साथ भाजपा का “सौहार्द” कांग्रेस के लिए कर रहा प्रोत्साहन का काम

कांग्रेस आजादी के बाद से भारतीय राजनीति के केंद्र में थी और भारत में पक्ष और विपक्ष की चुनावी राजनीति कमोबेश नेहरु-गांधीवादी आदर्शों और कांग्रेस के मध्यमार्गी तौर-तरीकों से संचालित होती थी। फिलहाल मामला पलट गया है, वर्तमान में भारत की राजनीति उस हिंदुत्व के पथ पर अग्रसर है जिसकी प्रस्तावना सावरकर द्वारा दी गयी थी। 2014 के बाद बने इस नये सेटेलमेंट में सबसे बड़ी रूकावट के तौर पर कांग्रेस को देखा जा रहा है, जो पुराने भारत (1947 से 2014 तक) के राजनीतिक विरासत की “स्वभाविक” और “अनिच्छुक” दावेदार है। इसी स्वभाविक दावेदारी की वजह से भाजपा और संघ परिवार कांग्रेस को अपने लिए एक वैचारिक चुनौती के तौर पर देखते हैं जबकि बालोद जिले में कांग्रेस के साथ भाजपा का “सौहार्द” कांग्रेस के लिए प्रोत्साहन का काम कर रहा है।

हस्ताक्षर का हुआ सत्यापन

कांग्रेस भाजपा के मेल वाले इस अविश्वास प्रस्ताव में नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव के दौरान भाजपा से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे बाबी छतवाल के साथ शिवांगी ध्रव भाजपा, ममता नेताम भाजपा, सोनी दुबे भाजपा, प्रमीला पारकर भाजपा, हेमंत गौतम भाजपा, ताम्रध्वज सुधाकर भाजपा, प्रतिमा नायक भाजपा, राजेश काबले भाजपा, सोहद्रा ठाकुर भाजपा, जनक निषाद कांग्रेस, ब्रजमोहन नेताम कांग्रेस, स्वपनिल तिवारी कांग्रेस, शीला भारद्वाज कांग्रेस, रुखसाना बेगम कांग्रेस, रोशन पटेल कांग्रेस, सूरज विभार कांग्रेस, श्रुति यादव, विजयभान, चंद्रप्रकाश सिन्हा, चंद्रप्रकाश बोरकर, मोईनुद्दीन, टी ज्योति ने 27 जून को तात्कालीन कलेक्टर जनमेजय महोबे को अविश्वास प्रस्ताव संबंधी आवेदन दिया था। इसमें इन सभी 24 पार्षदों ने संयुक्त हस्ताक्षर किए थे।

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