शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करता रहा रसुखदार शिक्षक का परिवार और आंख मूंदे रहे जिम्मेदार
देवभोग। शासकीय जमीन पर चाहे खेती के लिए हो फिर मकान बनाने के लिए रसूखदारो के द्वारा जबरदस्ती बलपूर्वक खुलेआम कब्जा करते हुए खेती करना या फिर मकान बना दिया। जाना साधारण खेल हो गया है। ऐसा भी नहीं है इन रसूखदारो के पास पक्का मकान एवं खेती खार के लिए जमीन नहीं है। संपन्नता के बाद भी ऐसा खेल खेल कर के शासन प्रशासन एवं कानून को अपने इशारों में चलाने का नाहक प्रयास करते हैं, और ऐसे मामले तब सामने आते हैं जब ग्रामीण इसकी शिकायत करते हैं।
ऐसा ही मामला हम बताने जा रहे हैं देवभोग ब्लॉक के गाँव बरकानी का जहां पर वहां से लगा हुआ गांव कैटपदर के संपन्न धनी शिक्षक जिसका गांव में ही घर द्वार बाड़ी बडी़ बिल्डिंग होने के बावजूद भी बरकानी सड़क किनारे शासकीय भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण करते हुए बिल्डिंग बना रहा हैं। जिसको देख कर भी ग्राम पंचायत बरकानी मुखदर्शक बनकर अपने कर्तव्यों का पालन ना करते हुए शासकीय भूमि पर अतिक्रमण को एक तरह से अपनी मौन स्वीकृत देता रहा।
मतलब साफ है बड़ों के लिए पूडी़ छोटो के लिए छुरी
जिसको देखकर गांव के पढ़े-लिखे जिम्मेदारों ने 8 जून 2022 को लिखित में तहसीलदार देवभोग को ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि कैटपदर निवासी शिक्षक जुगेश्वर नागेश पिता चक्रधर नागेश के द्वारा बरकानी गाँव मे सड़क किनारे अवैध रूप से व्यवसाय के उद्देश्य से पटवारी हल्का नंबर 2 शासकीय भूमि खसरा नंबर 217 रकबा 0.20हे.के भाग 0.02 हे़.पर अवैध रुप से अतिक्रमण कर मकान निर्माण किया जा रहा है।जिस पर तत्काल रोक लगाते हुए सैद्धांतिक कार्यवाही किए जाने की मांग किया गया था। आवेदन किए जाने के 15 दिवस के बाद 23 जून 2022 को तहसीलदार देवभोग के द्वारा उक्त शासकीय भूमि पर पटवारी के प्रतिवेदन अनुसार अवैध रुप से अतिक्रमण कर शिक्षक के पत्नि द्वारा मकान निर्माण करना पाया गया जिन्हे तहसीलदार द्वारा मकान निर्माण पर रोक लगाते हुए 3 दिवस के भीतर लिखित जवाब तहसील कोर्ट मे स्वयं उपस्थित होकर प्रस्तुत करने की बात कही गई है।आगामी आदेश तक स्थगन आदेश जारी किया गया है।
अब सवाल उठता है इस तरह के शासकीय जमीन गांव में होती है जिन्हें जरूरतमंद बेसहारा गरीबों को पक्का मकान निर्माण के लिए या फिर प्राथमिकता के तौर शासकीय योजनानुसार विकास मूलक कार्यों के लिए दिया जाना सार्थक होता है।
अब देखना होगा अवैध रूप से शासकीय भूमि पर मकान निर्माण धनी संपन्न व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है।
उस पर कानून सम्मत हमेशा के लिए रोक लगाई जाती है या फिर शासन प्रशासन मेहरबान होता है। यहां पर देखने वाली बात यह है की पटवारी के प्रतिवेदन के अनुसार शासकीय सेवा में पदस्थ शिक्षक की पत्नी द्वारा शासकीय जमीन पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक उद्देश से भवन खड़ा किया जा रहा है और शासकीय सेवक होने के नाते शिक्षक द्वारा रोका नहीं जाना था? क्या यह शासकीय सेवक की जिम्मेदारी नहीं बनती हैं? यह एक बडा सवाल है।