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अमरनाथ गुफा में ऐसे होता है पवित्र शिवलिंग का निर्माण, पढ़िए रोचक कहानी

Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है। ये हिंदुओं का सबसे पवित्र स्थल है। यहां पर हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ के शिवलिंग का निर्माण होता है। शिवलिंग के दर्शन करने के लिए देशभर से लाखों भक्त यहां आते हैं। बर्फ से निर्माण होने के कारण इस शिवलिंग को बाबा बर्फानी भी कहते हैं। इस पवित्र स्थान का वर्णन 12वीं सदी में लिखी गई एक पुस्तक ‘राजतरंगिणी’ में भी मिलता है। हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है बाबा अमरनाथ धाम। इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरु हो रही है जो कि 11 अगस्त रक्षाबंधन तक चलेगी। पिछले दो सालों से कोरोना के चलते यह यात्रा नहीं हो रही थी।

ऐसी है बाबा अमरनाथ की गुफा

बाबा अमरनाथ की गुफा बर्फीले पहाड़ो से घिरी हुई है। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा हमेशा बर्फ से ढकी रहती है। सिर्फ इन्ही दिनों में यह गुफा तीर्थयात्रियों के दर्शन से खुली रहती है।

यहां हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ के शिवलिंग का निर्माण होता है। इस पवित्र गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर तथा ऊंचाई 11 मीटर है। यह शिवलिंग चंद्रमा की रोशनी के साथ घटता बढ़ता रहता है।

श्रावण शुक्ल पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन पर शिवलिंग अपने पूर्ण आकार में होता है। उसके बाद आने वाली अमावस्या तक इसका आकार घट जाता है। शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की यात्रा करते हैं।

अमरनाथ गुफा से जुड़ी रोचक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव अमृत की कथा सुनाने को तैयार हुए थे। इसके लिए उन्होंने एक ऐसी गुफा चुनी थी जहां कोई और इस कथा को न सुन सके।

अमरनाथ गुफा में पहुंचने के पहले शिवजी ने नंदी, चंद्रमा, शेषनाग और गणेशजी को अलग-अलग स्थानों पर छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने गुफा में देवी पार्वती को अमरता की कथा सुनाई थी।

इस कथा को कबूतर के एक जोड़े ने भी सुन ली और वे अमर हो गए। अंत में शिव और पार्वती अमरनाथ गुफा में बर्फ से बने शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। जिनका आज भी प्राकृतिक रूप से निर्माण होता है।

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