रायपुर वॉच

देश में कोयला, बिजली, खाद की कमी…सब केंद्र सरकार की देन है : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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रायपुर। अपनी भेंट-मुलाकात कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जशपुर जिले के कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर रवाना होने से पहले रायपुर पुलिस लाइन स्थित हेलीपैड पर श्री बघेल ने मीडिया से चर्चा की। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि देश में कोयला, बिजली, खाद की कमी है। ये सारी कमियां केंद्र सरकार की वजह से ही हैं… वे दिला नहीं पा रहे हैं। अपनी भेंट-मुलाकात कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जशपुर जिले के कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर रवाना होने से पहले रायपुर पुलिस लाइन स्थित हेलीपैड पर श्री बघेल ने मीडिया से चर्चा करते हुए उक्त बातें कहीं

सीएम ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की मानसून सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग पर कहा- कौशिक जब स्वयं विधानसभा अध्यक्ष थे तब कितनी बार सत्र की अवधि बढ़ाई गई ? विधानसभा का मानसून सत्र 20 जुलाई से 27 जुलाई तक बलाई गई है। महाराष्ट्र के सियासी संकट पर मुख्यमंत्री ने कहा- भाजपा के लोग विपक्षी दलों को बर्दाश्त नहीं कर पाते, ये विपक्ष को रौंदकर, कुचलकर समाप्त कर देना चाहते हैं। सीएम ने कहा- भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। देर सवेर भाजपा को इसका खमियामजा भुगतना पड़ेगा, महाराष्ट्र की जनता सब देख रही है, ये जनता इनके पक्ष में नहीं है। तीनों दलों के गठबंधन से भारतीय जनता पार्टी डरी हुई है, आने वाले 2024 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह साफ होने वाली है, इस वजह से वे तोड़फोड़ कर रहे हैं।

ओल्ड पेंशन स्कीम और अग्निवीर पर तीखे तीर

 

छत्तीसगढ़ में भाजयुमो के अभियान को लेकर सीएम भूपेश ने कहा, इन्होंने पेंशन खत्म कर दी, राजस्थान सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की, हम केंद्र को चिट्ठी लिख रहे हैं कि हमारा पैसा वापस दे, वे नहीं दे रहे हैं। हमारे कर्मचारियों की पेंशन का पैसा जमा है, उसे वापस मांग रहे हैं। पहले वन रैंक वन पेंशन करते थे, अब नो रैंक नो पेंशन करते हैं। यदि कोई व्यक्ति 60 साल में रिटायर होता था, तब तक वे दादा-नाना बन चुके होते थे, अब शादी के पहले ही रिटायर होंगे, उनके कार्ड में लिखा होगा, भूतपूर्व अग्निवीर, यह सेना के साथ मजाक है। भाजपा उन देशों से तुलना कर रही है जहां जनसंख्या कम है, जहां सेना में कोई जाना नहीं चाहता, वहां अनिवार्य करना पड़ता है, भारत की सेना विपरीत परिस्थितियों में भी बेहतर काम करती है। अब उसमें भी ये राजनीतिकरण कर रहे हैं। रूस की स्थिति से ही अंदाजा लगाया जा सकता है, ठेके के सैनिकों के पास अस्त्र-शस्त्र होंगे तब भी वे चला नहीं पा रहे हैं या एक तरीके से वे निहत्थे हैं, उन्हे सीखने में भी वक्त लगेगा, रिटायरमेंट के बाद अगर आप शादी करेंगे तो 12 लाख देंगे वो रिसेप्शन में ही खत्म हो जाएगा।

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