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अटैचमेंट की बीमारी से बिगड़ रही स्वास्थ्य विभाग की सेहत

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बालोद। जिले में इन दिनों अटैचमेंट का खेल चरम पर है, इसी का कारण है कि ज्यादातर व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं। हालात यह हैं कि सबसे अधिक प्रभावित जिले की स्वास्थ्य सेवाएं हैं। बालोद की यह विडम्बना है कि जिला बनने के बाद भी यहां से अटैचमेंट का खेल खत्म ही नहीं हो रहा है। हो क्या रहा है कि नौकरी पाने के लिए हेल्थ वर्कर गांव जाने में नहीं हिचकता है लेकिन जैसे ही नौकरी मिली वह वहां से निकलने की जुगत लगा लेता है, इसका सबसे आसान तरीका होता है अटैचमेंट जिसे कि दूसरी भाषा में जुगाड़ कहा जाता है। स्वास्थ्य विभाग में यह परम्परा सबसे आसान मानी जाती है। बताया जा रहा कि दुर्ग जिले में सबसे ज्यादा 162 के बाद बालोद में 65 कर्मचारी अटैचमेंट पर है।

● अटैचमेंट के फेर में कहीं फार्मासिस्ट गायब तो कहीं से डॉक्टर

बालोद जिले के सेहत विभाग में थोकबंद कर्मचारियों को अटैच करके काम लिया जा रहा है। सीएमएचओ कार्यालय में कई कर्मचारियों को अटैच कर लिया गया है, जो अलग-अलग तरह की सेवाएं दे रहे हैं। चूंकि जिन कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, उनकी दूसरी जगह पर अन्य कार्यों के लिए नियुक्ति की गई थी। अब चूंकि वहां पर कर्मचारी नहीं हैं, तो उनका कार्य भी प्रभावित हो रहा है। अटैचमेंट के फेर में कहीं फार्मासिस्ट गायब हो गया तो कहीं से डॉक्टर। अब जबकि स्वास्थ्य विभाग के मुखिया के दफ्तर में ही कर्मचारी अटैच हैं, तो फिर दूसरी जगह क्या उम्मीद की जा सकती है।

● स्टोर कीपर कम एडवाइजर की भूमिका में अटैच फार्मासिस्ट

हेल्थ वर्कर स्वास्थ्य केंद्रों की जगह ऑफिसों में मौज काट रहे हैं। यहां पर कर्मचारी और फार्मासिस्ट तक को अटैच करके रखा गया है। कुछ भाई बंदी में अटैच हैं तो कुछ को सुख भोगने के लिए सीएमओ कार्यालय में रखा गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाटाबोड़ का एक कर्मचारी सीएमओ कार्यालय में स्टोर कीपर कम एडवाइजर की भूमिका ज्यादा निभा रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों का मन गांव में दौरा करने से ज्यादा दफ्तरों में ड्यूटी करने में ज्यादा लगता है। ताजा उदाहरण खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद का कार्यालय है जहां पुरुष पर्यवेक्षक के तौर पर पदोन्नत एक कर्मचारी अभी भी पुराने पदस्थापना स्थान पर अटैचमेंट की मलाई काट रहे है।

● इस जुगाड़ के खेल पर कब टेढ़ी होगी नजरें

नए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के तौर पर काम करते डॉ. शैलेंद्र मंडल को अभी ज्यादा समय नही बीता है। चार माह पहले ही उन्होंने डॉ. जेपी मेश्राम की जगह बालोद जिले की जिम्मेदारी संभाली है। बताया जा रहा है कि डॉ. मंडल कवर्धा जिले के स्वास्थ्य विभाग से अटैच किए गए मेडिकल ऑफिसर, बीपीएम (ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर) समेत 26 हेल्थ वर्कर को पोस्टिंग वाले स्थान का रास्ता दिखाकर बालोद आए है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही कि इस जिले में भी उनकी नजरें इस जुगाड़ के खेल पर टेढ़ी होगी और इसको लेकर कोई बड़ा निर्णय लेंगे। बहरहाल अब देखना है कि इस जुगाड़ के खेल को कब तक जिले का सेहत विभाग झेलता है।

● ये कर्मचारी है अटैचमेंट पर ●

हालांकि जिले के सेहत विभाग में थोकबंद कर्मचारियों को अटैच करके काम लिया जा रहा है। लेकिन कुछ नाम हाथ लगे है जो अटैचमेंट की मलाई काट रहे है। जिनमे पहला नाम सोमप्रकाश साहू का है जिनकी पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाटाबोड़ में फार्मासिस्ट की है, फिलहाल सीएमएचओ कार्यालय में स्टोर कीपर के तौर पर कार्य कर रहे है। दूसरा नाम राजेश साहू का है जिन्हें पुरुष पर्यवेक्षक के तौर पर पदोन्नत करके लाटाबोड़ सेक्टर भेजा गया था, बावजूद इसके आज भी कार्यालय खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद में बाबू का काम निपटा रहे है। गौतम वर्मा पदस्थापना आरएमए पीएचसी गुरेदा अटैच सीएमएचओ कार्यालय, नीरज गौतम पदस्थापना फार्मासिस्ट सीएचसी गुंडरदेही अटैच सीएमएचओ कार्यालय है।

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