नगरी दीपेश निषाद:-नगर पंचायत नगरी वर्ष 2008 के पूर्व ग्राम पंचायत हुआ करता था। जहां ग्रामीण आपसी-भाई चारे से रहा करते थे उसी दरमियान नगर में कोढ़ नामक बीमारी ने महामारी का रूप लिया तब ग्राम पंचायत नगरी के बाशिंदो ने अमतिया परिवार को याद किया जो आज भी निवासरत है, बताया जाता है की उस समय ग्राम में एक धर्मात्मा परिवार रहा करता था जिन्होंने कोढ़ नामक बीमारी व भटके हुए लोगों को आश्रय देने के नाम से धर्मशाला का स्थापना किया। जिसमें की भूले भटके लोग वहां रुक सके ग्रामवासी उक्त परिवार को उस समय देवदूत के रूप में मानने लगे जो सेवा के भाव से इत्यादि कार्य कर रहे थे,बड़े बुजुर्गों की माने तो उस समय उसी धर्मात्मा के घर मे उनके बेटे को भी कोढ़ रूपी महामारी ने जकड़ लिया तब उक्त परिवार ने विशाल ह्रदय का परिचय देते हुए धर्मशाला को पूरे गाँव वालों को दान स्वरूप देते हुए कहा था कि आज से ये धर्मशाला सभी गाँव वालों का है जिसमे मेरे परिवार द्वारा भविष्य में आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास नही किया जायेगा। ततपश्चात तीसरी पीढ़ी का समय आया उन्होंने भी बड़े ही सरलता से अपने बड़े बुजुर्गों के जुबान का मान रखते हुए धर्मशाला का संचालन किया जिससे वह परिवार ग्राम में सबसे ज्यादा
प्रतिष्ठित माने जाने लगा हालांकि उसी दरमियान बात यह भी आई थी कि वह संपूर्ण जमीन पर पूर्व में कब्जा नगर के कोई प्रबुद्ध आदिवासी का था परंतु उक्त परिवार के धर्म कार्य को ध्यान में रखते हुए ग्राम वासियों ने किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं किया। आज पर्यंत वह धर्मशाला कहीं गुम सा गया है,मानों धर्मशाला नगर पंचायत नगरी बनने के बाद चोरी सा हो गया हो लोग आज असमंजस में हैं कि उक्त परिवार द्वारा दान स्वरूप दिया गया धर्मशाला आखिर आज कहां है?? क्या बड़े बुजुर्गों के जुबान की कीमत वर्तमान की चौथी पीढ़ी के लिए कोई मोल नहीं रखता ?? या फिर वर्तमान में लगभग 5000 स्क्वायर फीट में पहले उस जमीन की कीमत देख कर दानदाता परिवार का मनसा बदल गया। खैर बात जो भी हो उक्त परिवार के बड़े बुजुर्गों ने ग्राम में जो मान सम्मान प्रतिष्ठा पाया था। उसे वर्तमान की चौथी पीढ़ी ने नेस्तोनाबूद कर दिया नगर के बुजुर्गों से बात करने पर जानकारी प्राप्त हुआ की पूर्व में वहां धर्मशाला के इर्द-गिर्द पोस्ट ऑफिस हुआ करता था जिसका एक बहुत बड़ा हिस्सा बाउंड्री वाल का था। जिसमें आज अज्ञात व्यक्ति द्वारा इमारत खड़ी कर दी गई है, ग्राम पंचायत नगरी 2008 में जब नगर पंचायत में तब्दील हुआ उस दरमियान छोटी सी जनसंख्या वाले नगर में किसी को कोई कुछ बोलने वाला नहीं था। जिसके चलते पूंजीपतियों ने करोड़ों रुपए के संपत्ति को धड़ल्ले से कब्जा किया। आज नगर की युवा पीढ़ी पूछती है की तीन पीढ़ी तक संचालित वह धर्मशाला आखिर कहां जमीदोज हो गया कुछ युवाओं के माने तो वाह नजदीकी थाना में बहुत जल्द धर्मशाला की चोरी की शिकायत दर्ज करवाने की मंशा बनाए हुए हैं.।
चोरी हुआ नगर पंचायत नगरी से 5 हजार स्क्वायर फीट का धर्मशाला तीन पीढ़ी से था संचालित
