स्वाधीन जैन
बालोद। नरेगा योजना घाेटाला का जरिया बन गया है। मनाही के बावजूद नरेगा का ज्यादातर काम जेसीबी से कराते है और कागज पर मजदूरों का नामांकन दिखाकर पैसे का उठाव कर लिया जाता है। ऐसा ही मामला बालोद विकासखंड के ग्राम पंचायत खपरी में सामने आया है। जहां नरेगा योजना का काम दिन दहाड़े जेसीबी से कराया जा रहा था। मामले के संज्ञान में आने के बाद जल्दबाजी में जेसीबी बंद करा दी गई। ऐसे में योजना के तहत ग्राम पंचायत खपरी के छोटे तालाब गहरीकरण कार्य के अब तक हुए भुगतान के वास्तविकता की गहन जांच की गई तो बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। बता दे कि नरेगा भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को रोजगार उपलब्ध कराती है। इसी के तहत बालोद जिले के ग्राम खपरी विकासखंड बालोद में मनरेगा के तहत 15 लाख की लागत से छोटे तालाब में गहरीकरण एवं पचरी, टोवाल का कार्य कराया जा रहा है। उक्त कार्य मे श्रमिक लागत 10.70 लाख तथा सामग्री लागत 04.58 लाख रुपए है।
● नरेगा के मजदूर मिले गायब, जेसीबी से चल रहा था काम, पकड़े गए ●
खपरी के छोटे तालाब में चल रहे नरेगा कार्य में अनियमितता की जानकारी मिलने पर छत्तीसगढ़ वाच के रिपोर्टर गुरुवार को मनरेगा कार्य देखने पहुंचे। इस दौरान कई अनियमितता सामने आई। जिसमें मेट ने मस्टरोल में जितने श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज कर रखी थी, उतने मजदूर मौके पर नही मिले। वहीं मौके पर जिस तालाब का कार्य किया जा रहा था उस पर पहले से जेसीबी द्वारा कार्य कर रखा था। गौरतलब हो कि मनरेगा के स्वीकृत कार्यों को श्रमिकों से ही करवाए जाने के आदेश व एक्ट में प्रावधान हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि नियम के विपरीत बालोद विकासखंड के ग्राम खपरी में जेसीबी मशीन से कार्य करवाए जाने की पुनरावृत्ति पर कार्रवाई होगी। फर्जी मस्टर रोल मिलने पर धन की रिकवरी करने को कहा जाएगा।
● कामगारों का हक मार रहे बिचौलिए ●
कलेक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक महात्मा गांधी नरेगा द्वारा जिले की समस्त ग्राम पंचायतों को आदेशित किया गया है कि योजना के कार्य में जेसीबी मशीन का प्रयोग न किया जाए। साथ ही आधिक संख्या में श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जाए। मशीनों का प्रयोग पाए जाने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। बावजूद इसके खपरी में खुदाई समेत अन्य कार्यों के लिए मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन का उपयोग कर बिचौलिए कामगारों का हक मार रहे है।
● क्या कहते हैं पदाधिकारी ●
तकनीकी सहायक अरुण नाईक ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। इसकी जानकारी जनपद पंचायत के सीईओ को दे दी है। हम लोग हड़ताल पर थे तो सब इंजीनियर को प्रभार दिया गया था। ग्राम पंचायत खपरी का ध्रुव सर देख रहे थे। वही मूल्यांकन करते थे, उनका प्रभार क्षेत्र ज्यादा था तो वो गए थे की नही पता नही पर फाइल को ध्रुव सर ही कंप्लीट कर रहे थे। सीईओ सर को बता दिया है कि मशीन से काम हुआ है। मजदूर तो मिट्टी खोद ही नही रहे, जबकि उनको पैसा तभी देना है जब मिट्टी खोदे और फेंके।
● सचिव का कहना सरपंच ने उतारी मशीन, ग्राम पंचायत से होगा भुगतान ●
नरेगा के तहत स्वीकृत तालाब गहरीकरण के कार्य मे सरपंच सचिव धड़ल्ले से मशीन चलाते रहे। इसके पहले भी अनेक ग्राम पंचायतों में जेसीबी मशीन से कार्य कराए जाने के मामले उजागर हुए हैं। ग्राम पंचायत के सचिव प्रेम कुमार सिन्हा से जेसीबी मशीन से काम कराये जाने संबंधी जानकारी ली गयी, तो वो गोलमाल जवाब देते रहे। उन्होंने कहा कि जेसीबी मशीन को सरपंच ने उतारा है। इसके लिए विभाग से अनुमति भी लिया है। मजदूरों के हट जाने के बाद थोड़ी मात्रा में मुरुम भी निकाला है, जिसे गांव में डलवाया गया है। पंचायत की ओर से एसडीएम को आवेदन दिए थे तो उनका कहना था कि इसकी अनुमति खनिज विभाग देगी तो खनिज विभाग को भी लेटर दिया गया। विभाग का कहना था कि ऐसी अनुमति नही दे सकते अपने स्तर पर देख लो। सचिब ने यह भी कहा कि मशीन का भुगतान हम पंचायत से करेंगे।
● वर्जन ●
√ हम तो हड़ताल पर थे, कल ही जनपद में ज्वाइन हुए है। आज खपरी गया था काम देखा तो इसकी जानकारी सीईओ को दिया है। बता दिया हूं कि ग्राम पंचायत से जेसीबी चल रहा है। लगता है हड़ताल के पहले से ही ऐसा चल रहा होगा। मैं होता तो ऐसा नही होने देता क्योकि हमारे गले मे ही तलवार लटका हुआ है। मनरेगा काम मशीन से तो करना ही नही है। अपने बचाव के लिए पहले ही लिखकर दे दिया है: अरुण नाईक तकनीकी सहायक, नरेगा बालोद