रायपुरः छत्तीसगढ़ में सत्ता का वनवास झेल रही बीजेपी एक बार फिर से संघ की शरण में जाती दिख रही है. दरअसल राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा उससे पहले अपने संगठन को धार देने में जुट गई है. खास बात ये है कि इसकी बागडोर संघ ने संभाली है और संघ की देखरेख में ही यह प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा.
बता दें कि 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान ये चर्चा थी कि संघ की बीजेपी संगठन पर तत्कालीन सत्ता हावी हो गई थी. जिसका पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. हार और सत्ता से दूर रहने का असर पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ा है. यही वजह है कि पार्टी ने अभी से ही संगठन को धार देनी शुरू कर दी है. पार्टी प्रदेशभर में जिला संगठनों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रही है. इसी कड़ी में रायपुर शहर और रायपुर ग्रामीण के नेताओं का प्रशिक्षण शिविर 17 से 19 जून तक राजधानी के पास चंपारण में आयोजित होगा.
इस प्रशिक्षण शिविर में करीब 300 नेता कार्यकर्ता शामिल होंगे. इस दौरान 3 दिन तक बीजेपी संगठन, रीति-नीति, इतिहास और वर्तमान परिपेक्ष्य की चुनौतियों के साथ कुल 15 बिंदुओं पर प्रशिक्षण होगा. इस शिविर में भाजपा के तमाम नेताओं का संबोधन होगा लेकिन खास बात ये है कि शिविर की शुरुआत ही संघ के प्रांत संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना के संबोधन से होगी. पूरी कवायद से ऐसा लग रहा है कि छत्तीसगढ़ बीजेपी में संघ का हस्तक्षेप बढ़ेगा. बीजेपी कार्यकर्ता 2023 के लिहाज से इसे जरूरी मान रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने संघ की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं.