main story

एक गाय की आत्मकथा” उपन्यास की एक लाख प्रतियाँ छपेंगी

Share this

नई दिल्ली। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास द्वारा संचालित नालंदा प्रकाशन की ओर से हिंदी के चर्चिंत लेखक  गिरीश पंकज के उपन्यास “एक गाय की आत्मकथा”की एक लाख प्रतियाँ प्रकाशित की जाएंगी। उम्मीद है कि यह उपन्यास सर्वाधिक बिकने वाले साहित्यिक उपन्यास की सूची में सबसे ऊपर होगा। न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि एक भव्य समारोह में इस कृति का विमोचन एक नवम्बर 2022 को गोपाष्टमी के दिन बरसाने गौशाला परिसर, वृंदावन (उ.प्र.) में किया जायेगा। इस अवसर पर देशभर से गौ साहित्य के अध्येता एवं गौ सेवक पधारेंगे। एक गाय की आत्मकथा पर आधारित नाट्यमंचन भी किया जायेगा।

राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति न्यास द्वारा 2014 में इस उपन्यास की दस हजार प्रतियाँ प्रकाशित कर आम निःशुल्क वितरित की गई थी। “एक गाय की आत्मकथा” को पढ़कर आज कई लोग गौशाला निर्माण कर सैकड़ों गायों की सेवा कर रहे हैं। नीरज कुमार ने बताया कि देश के अनेक लोग ने “एक गाय की आत्मकथा” पढ़ने हेतु माँग कर रहे हैं। इसे देखते हुए न्यास ने एक लाख प्रतियाँ प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। उपन्यास पढ़कर रायपुर का एक राष्ट्रवादी मुस्लिम युवक मो. फैज खान अपनी सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर गौ जागरण कार्य में जुट गये हैं। मो- फैज ने गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग को लेकर नई दिल्ली के जंतर-मंतर में आमरण अनशन भी किया था ।

“एक गाय की आत्मकथा” उपन्यास की रचना गिरीश पंकज ने की, जिसे पढ़कर लोगों में गाय के प्रति श्रद्धा एवं करुणा का भाव जाग सकें। जिस गाय की दूध का उपयोग मनुष्य जीवन-भर करता है, उसी गौमाता को मैला, पोलीथीन खाने को विवश कर रहे हैं इस उपन्यास में समस्या को उजागर भी किया गया है और समाधान भी बताया गया है। सरकार और समाज को मिलकर गोधन की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है। मनुष्य के संवेदनहीनता के कई उदाहरण इसमें प्रस्तुत किया गया है। मुस्लिम परिवार के गौ प्रेम को बड़े ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है।

नीरज ने कहा कि एक गाय की आत्मकथा गायों की स्थिति का एक तरह से श्वेत पत्र है, जिससे पढ़कर साफ-साफ समझा जा सकता।समाज के लोगों का कथनी और करनी में कितना अन्तर है। स्वार्थी मानव समाज कैसे गौमाता को ऑक्सीटोसिन की सुई देकर बच्चे को अलग कर दूध निकाल लेता है, गौमाता पीड़ा में रहकर भी दूध देने को विवश है, इस तरह अनेक उदाहरण इस उपन्यास में भरे पड़ें हैं।

नीरज ने कहा कि “एक गाय की आत्मकथा” में भारतीयों गायों की प्राचीन महिमा और उसकी अब निरन्तर हो रही दुर्दशा का विस्तृत आख्यान है। न्यास द्वारा पूर्व में भी लोकमान्य तिलक की 1000 पृष्ठों की कालजयी गीता रहस्य की एक लाख प्रतियाँ सन् 2019 में प्रकाशित की गई है, जिसे देश भर में खूब पंसद किया गया।

 

 

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *