रायपुर वॉच

मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों के लिए बनाएगा अनुशासन माड्यूल, जानिए इसकी खासियत

रायपुर। कोरोना काल में बच्चों को मोबाइल से पढ़ाना अभिभावकों को भारी पड़ रहा है। इससे बच्चों में अनुशासनहीनता, उद्दंडता, गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में नए सत्र से स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों को अनुशासित करने और उनकी मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए पठन-पाठन के माड्यूल में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। राज्य में दो हजार शिक्षकों ने बच्चों के अभिभावकों से फीडबैक में पाया है कि यहां लगभग 50 फीसद बच्चों में मोबाइल की लत हावी हो गई है। बच्चे घर में भी किसी का कहना-सुनना नहीं मान रहे हैं। उनमें अनुशासन की कमी दिख रही है।
सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस ने अध्ययन में पाया है कि कोरोना काल में बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम होने से उनमें कई प्रकार की व्यावहारिक दिक्कतें पैदा हो गई हैं। 50 फीसद बच्चों में से 20 से 25 प्रतिशत बच्चों की दिनचर्या खराब हो गई है। 20 प्रतिशत बच्चे लापरवाह और 30 प्रतिशत जिद्दी हो गए हैं। इनमें 18 प्रतिशत में एकाग्रता की कमी देखी गई है।

बनेगा नए सिरे से शिक्षण-प्रशिक्षण माड्यूल
शिक्षक-अभिभावक इन बच्चों को कैसे संयमित करें, इसे लेकर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने काम करना शुरू कर दिया है। एससीईआरटी के अतिरिक्ति संचालक डा. योगेश शिवहरे ने बताया कि बच्चों को अनुशासित करने और उन्हें मोबाइल की लत से बाहर निकालने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग नए सिरे से शिक्षण माड्यूल बना रहा है।

वहीं शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण मानीटरिंग के लिए जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी सहित डीएमसी, बीआरसीएस, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी और संकुल समन्वयकों के लिए नए माड्यूल होंगे। स्कूली शिक्षा की मानिटरिंग का हिसाब भी अफसरों को देना होगा। प्रदेश के 56 हजार स्कूलों में 60 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें 58 लाख 61 हजार 344 बच्चे पढ़ई तुंहर दुआर में पंजीकृत हैं और करीब35 लाख बच्चों ने कोरोना काल में मोबाइल के संपर्क में रहकर पढ़ाई की है।

स्कूल शिक्षा सचिव डा. एस. भारतीदासन ने कहा, बच्चों को अनुशासित करने और विकासखंड से लेकर जिला स्तर तक के अफसरों की मानिटरिंग के लिए माड्यूल बनाने के लिए एससीईआरटी को निर्देश दिया गया है।

एससीईआरटी संचालक राजेश सिंह राणा ने कहा, बच्चों को मोबाइल की लत से बाहर करने और अनुशासित करने के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण माड्यूल बना रहे हैं। स्कूल खुलते ही इस पर अमल किया जाएगा।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
व्यवहार में आया बदलाव
छत्तीसगढ़ साइक्रेट्रिक सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष व डायरेक्टर सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस डा. प्रमोद गुप्ता का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों के भीतर एक भय और अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। ये समाज से कट से गए हैं। इनका स्क्रीन टाइम एक से आठ घंटे तक बढ़ गया है। शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। नींद में भी व्यवधान हो गया है। कुछ बच्चे नींद खुल जाने से परेशान हैं। दिन भी सोने लगे हैं। उनमें अनुशासनहीनता और मोबाइल की लत बढ़ गई है।

हिंसक भी होने लगे
कैरियर साइकोलाजिस्ट डा. वर्षा वरवंडकर ने कहा, बच्चों में मोबाइल की लत इस कदर हावी है कि वे हिंसक भी होने लगे हैं। ऐसे मामले लगातार काउंसिलिंग के लिए आ रहे हैं। बच्चों में एकाग्रता की कमी और चिड़चिड़ेपन को दूर करने के लिए शिक्षक, अभिभावक दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है। शिक्षकों के सामने यह चुनौती है कि वह बच्चों को अच्छे से सहेंजे ताकि उनके व्यवहार में सुधार हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *