उमेश पटेल की सराहना
राज्य सरकार के विभागों में भ्रष्टाचार की शिकायत आम है। किसी विभाग में कम, तो किसी में ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायत है । लेकिन उमेश पटेल जरूर ऐसे मंत्री हैं जिनके विभागों में भ्रष्टाचार की शिकायत सबसे कम है । पहली बार के मंत्री उमेश पटेल का कामकाज साफ सुथरा है । उच्च शिक्षा विभाग में 6 सौ से अधिक पोस्टिंग हुई लेकिन एक भी लेन देन के आरोप नहीं लगे । जबकि एक-दो मंत्रियों के खिलाफ शिकायत लेकर कांग्रेस विधायक ही सीएम के दरवाजे पहुँच गए थे। ऐसे में उमेश पटेल और उनके स्टाफ की तारीफ तो बनती है ।
पूर्व मंत्री की मुश्किल
भाजपा के एक पूर्व मंत्री जल्द ही मुश्किल में पड़ सकते हैं । बताते हैं कि माननीय ने औद्योगिक क्षेत्र में अपने एक करीबी को पेट्रोल पंप के लिए जमीन दिलवा दी थी । जमीन आबंटन में गड़बड़ी की शिकायत तो हो रही है और यह कहा जा रहा है कि जमीन भी पूर्व मंत्री ने अपने समर्थक के नाम पर ली है । शिकायत की जांच शुरू हो गई है । आगे क्या होता है देखना है ।
जी एस की लोकप्रियता का गिरता ग्राफ
गणेशजी शंकर मिश्रा जब पद पर थे तो फेसबुक पर उनके पोस्ट को लाइक और कमेंट करने वालों की संख्या सैकड़ों में होती थी । लेकिन रिटायर होने के बाद उनके पोस्ट को गिनती के लोग ही लाइक अथवा कमेंट करते हैं । ऐसा करने वालों में ज्यादातर उन्हीं के रिश्तेदार होते हैं । मिश्रा जी भाजपा का हिस्सा तो बन गए हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें दिल से नहीं स्वीकार किया है। जिले के लोग उन्हें बैठकों की सूचना तक नहीं देते हैं । गणेश शंकर मिश्रा पद पर थे तो सुर्खियों में बने रहते थे । लेकिन पद से हटने बाद प्रचार पाने की पुरानी तरकीब काम नहीं आ रही है ।
एक्सीडेंटल कुलपति
अंततः गिरीश चंदेल देश के बड़े इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति बनने में कामयाब रहे । अगर उन्हें एक्सीडेंटल कुलपति कहा जाए, तो कोई गलत नहीं होगा ।
ऐसा नहीं कि चंदेल की योग्यता में कोई कमी है । बल्कि इस पद के लिए पूरी काबिलियत रखते हैं । दर असल, चंदेल का परिवार आर एस एस से जुड़ा रहा है । उनके पिता मनसुख लाल चंदेल प्रतिष्ठित वकील रहे हैं । वे जनसंघ की टिकट से चुनाव लड़े थे और रायपुर में जनसंघ और भाजपा को स्थापित करने में अहम योगदान रहा है । मगर भाजपा ने प्रदेश में सत्ता में रहते इस परिवार की कभी खोज खबर नहीं ली । इस परिवार को तकरीबन भूला दिया गया था । और अब प्रदेश में स्थानीय वाद की मुहिम चली, तो कई नाम सामने आए थे ।नामों को लेकर राज्यपाल और सीएम आमने सामने आ गए थे । सरकार की अनुशंसा राज्यपाल को पसंद नहीं थी ऐसे में स्थानीय गिरीश चंदेल (सोनी) को मौका मिल गया । इसके लिए राज्यपाल और सीएम, दोनों को ही धन्यवाद देना चाहिए कि विवादों के बावजूद चंदेल के नाम पर एकमत हो गए ।
बाबा के खिलाफ मुहिम में सहारा
सरगुजा के भाजपा नेता आलोक दुबे टीएस सिंहदेव के खिलाफ जिला भाजपा दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस लेना चाहा, तो जिला अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया । इसके बाद दुबे ने प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर अपनी बातें कही । बाद में पार्टी नेताओं द्वारा उन्हें मंच उपलब्ध नहीं कराने की शिकायत संभागीय प्रभारी ज्योतिनंद दुबे से की, तो जिला अध्यक्ष को फटकार लगाई और भविष्य में उनका साथ देने के कहा है ।अब तक तो आलोक दुबे पार्टी में अलग थलग पड़े हुए हैं । आगे सिंहदेव के खिलाफ मुहिम में पार्टी का साथ मिलता है या नहीं, आने वाले दिनों में पता चलेगा ।
छवि के कारण पोस्टिंग अटकी
आईएएस अफसर एलेक्स पाल मेनन को प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार में जाने की अनुमति दे दी है लेकिन केन्द्र में उनकी पोस्टिंग नहीं हो पा रही है । जबकि उनके बाद अनुमति पाने वाले शिव अनन्त तायल की पोस्टिंग हो गई है ।बताते हैं कि मेनन छवि एक विवादित अफसर की रही है और चर्चा है कि उनकी छवि की वजह से पोस्टिंग नहीं हो पा रही है ।