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मप्रः वाणिज्यिक कर विभाग की बड़ी कार्रवाई, 315 करोड़ का जीएसटी फर्जीवाड़ा पकड़ा

भोपाल। मध्यप्रदेश में वाणिज्यिक कर विभाग (commercial tax department) ने बोगस व्यापारियों (Bogus traders), अस्तित्वहीन फर्मों (non-existent firms) द्वारा की जा रही करोड़ों की टेक्स चोरी (Tax evasion worth crores) का पर्दाफाश कर 315 करोड़ रुपये का जीएसटी फर्जीवाड़ा (GST fraud of Rs 315 crore) पकड़ा है।

एंटी इवेजन ब्यूरो इंदौर-ए के संयुक्त आयुक्त मनोज चौबे ने शुक्रवार को बताया कि फर्जी बिल जारी कर अन्य फर्मों को आईटीसी पासऑन करने वाले बोगस व्यवसायियों के विरूद्ध वाणिज्यिक कर विभाग अभियान चला रहा है। इसी तारतम्य में स्टेट जीएसटी एंटी ईवेजन ब्यूरो इंदौर-ए के अधिकारियों द्वारा डाटा एनालिसिस कर बोगस फर्मों कि सप्लाई चेन को उजागर किया गया, जो करोड़ों रुपये का बोगस टर्न ओवर कर रहे थे।

डाटा एनालिसिस के दौरान पाया गया कि कुछ फर्म नवीन पंजीयन लेकर कम समय में ही बड़ा टर्नओवर कर रही थी। आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स जीओ टेगिंग तथा व्यवसाय स्थलों के प्राथमिक परीक्षण के दौरान पाया गया कि व्यवसाय स्थलों पर किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियाँ संचालित होना नहीं पाई गई तथा माल वास्तविक रूप प्रदाय किये बिना ही फर्जी बिलों के आधार पर अन्य व्यवसाइयों को आईटीसी का लाभ दिया गया। इसके अतिरिक्त इनके पंजीयन में दर्शाये गए दस्तावेजों में भी विसंगतियाँ पाई गई। इनकी संदिग्ध सप्लाय चेन का विश्लेषण कर ठोस आधार ज्ञात होने पर वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा अस्तित्वहीन फर्मों पर कार्रवाई की।

छापे की कार्यवाही में लगभग 315 करोड़ रुपये के बोगस टर्नओवर का पर्दाफाश किया गया। इंदौर सहित नीमच में एक साथ कई फर्मों के ठिकानों पर कार्रवाई की गयी। छापे की कार्रवाई के दौरान कई फर्म बोगस पाई गयी, जो केवल कागजों पर संचालित हो रही थी। इनके द्वारा रिटर्न में डीओसी की 315 करोड़ की सप्लाई दर्शाकर लगभग 15 करोड़ रुपये का बोगस आईटीसी का लाभ अन्य फर्मों को दिया गया।

बोगस फर्मों में मुख्यतः श्रीनाथ सोया एक्सिम कॉर्पोरेट, श्री वैभव लक्ष्मी इंडस्ट्रीज, अग्रवाल ऑर्गेनिक- अग्रवाल ओवरसीज, जे.एस भाटिया इंटरप्राईजेस इत्यादि है। इन फर्मों पर की गई कार्रवाई में व्यवसाय स्थल पर किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियाँ संचालित होना नहीं पायी गयी। इनमें से मेसर्स श्रीनाथ सोया एक्सिम कॉपोरेट फर्म एक ऑटो चालक सचिन पटेरिया के नाम पर संचालित हो रही थी, जिसके पंजीयन के समय आवेदन के साथ कूटरचित किरायेनामा संलग्न था। जिसके मकान मालिक की मृत्यु कई वर्ष पूर्व में ही हो चुकी है, जबकि किराये नामे पर मृत व्यक्ति के फर्जी हस्ताक्षर थे।

इसी तरह मेसर्स श्री वैभव लक्ष्मी इंडस्ट्रीज का प्रोपराईटर अजय परमार व्यवसाय स्थल पर नहीं पाया गया। फर्म के पंजीयन आवेदन के समय प्रस्तुत किरायेनामे फर्जी पाये गये। वक्त जाँच किरायेनामें में दर्ज व्यवसायी स्थल के मालिक द्वारा किरायेनामे को फर्जी बताते हुए बयान दिया गया कि मेरे द्वारा किसी भी फर्म को व्यवसाय स्थल किराये पर नहीं दिया गया। इसी तरह अग्रवाल ऑर्गेनिक एवं अग्रवाल ओवरसीज अस्तित्वहीन पाई गयी। इन बोगस फर्मों द्वारा मध्यप्रदेश तथा मध्यप्रदेश के बाहर की जिन फर्मों को आईटीसी का लाभ दिया गया है, उनके विरूद्ध विभाग द्वारा कार्यवाही कर आईटीसी रिवर्सल की कार्यवाही की प्रक्रिया जारी है।

संयुक्त आयुक्त मनोज चौबे ने बताया कि विभाग की इस कार्यवाही से जहाँ एक ओर करोड़ों रुपये का बोगस टर्नओवर का पता लगा है वहीं दूसरी ओर इन बोगस फर्मों द्वारा भविष्य में फर्जी बिल जारी कर कर चोरी करने पर अंकुश भी लगेगा। सहायक आयुक्त हरीश जैन ने बताया गया कि विभाग द्वारा डाटा एनालिसिस एवं हयूमन इंटेलीजेंस के आधार पर जिन अन्य फर्मों द्वारा इस प्रकार के फर्जी संव्यवहार किए जा रहे हैं, उन फर्मों पर भी कार्यवाही करने की तैयारी की जा रही है।

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