नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद अब राजनीतिक हलकों में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और आर्टिकल 370 को भी रद्द करने की मांग उठने लगी है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने रविवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरस्त करने और अनुच्छेद 370 को रद्द करने की मांगों के साथ ही अब ‘पॉलिटिकल ड्रामा’ शुरू हो गया है.
नकवी ने कहा, ‘कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद से ही सियासी ड्रामा शुरू हो गया है. कोई कहता है कि सीएए (Citizenship Amendment Act) को निरस्त किया जाना चाहिए. तो कोई कह रहा है कि अनुच्छेद 370 (Article 370) को खत्म किया जाना चाहिए. वे (विपक्ष) यह अच्छी तरह से जानते हैं कि सीएए नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है.’
‘धारा 370 को निरस्त करने से हुआ कई मुद्दों का समाधान’
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) में बहुत सारे मुद्दों का समाधान हो गया. लोगों को मुख्यधारा में लाया गया. वे भी अब राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बन रहे हैं.’ मालूम हो कि नकवी का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को निरस्त करने की घोषणा के दो दिन बाद आया है.
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘हमने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है. इस महीने शुरू होने वाले संसद सत्र में इन कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी. मैं किसानों से अपने परिवारों के साथ घर लौटने की अपील करता हूं. आइए हम नए सिरे से शुरुआत करें.’ बता दें कि कानून पारित होने के बाद से ही किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
कृषि से संबंधित कौन से तीन कानून लेकर आई थी सरकार?
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हित में तीन कृषि कानून बनाए थे. पहला कानून- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, दूसरा कानून- कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और तीसरा कानून- आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 था.