नई दिल्ली : सरकार ने IRCTC पर अपने कन्वीनिएंस फीस के फैसले को वापस ले लिया है. IRCTC ने गुरुवार को ऐलान किया था कि कंपनी को रेलवे के साथ 50:50 के रेश्यो में कन्वीनिएंस फीस को शेयर करना होगा. दीपम सचिव ने ट्वीट करके यह जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट में कहा कि रेलवे मंत्रालय ने IRCTC कन्वीनिएंस फीस पर फैसले को वापस लेने का निर्णय किया है.
फैसले पर ज्यादा विचार होना चाहिए था: दीपम सचिव
फैसले के ऐलान के बाद दीपम सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि IRCTC ने इस पर अपना पक्ष रखा था और सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इस फैसले पर ज्यादा विचार किया जाना चाहिए था. और निवेशकों का हित सरकार के लिए बेहद अहम है.
इस ऐलान के बाद IRCTC के शेयर में रिकवरी देखी गई है. यह शेयर इस समय 4 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में, इसका शेयर 29 फीसदी की गिरावट के साथ बीएसई पर 650.10 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया था.
IRCTC के शेयर कल एक्स-स्पलिट हुए थे. बोर्ड ने 12 अगस्त को इसके शेयर को 1:5 के रेश्यो में स्पलिट करने का फैसला किया था. यह फैसला कैपिटल मार्केट में लिक्विडिटी को बढ़ाने, शेयरहोल्डर के बेस को बढ़ा करने और छोटे निवेशकों के लिए शेयरों को किफायती बनाने के मकसद से लिया गया था. स्टॉक स्पलिट के बाद गुरुवार को इसका शेयर करीब 11 फीसदी की तेजी के साथ 913 रुपए के स्तर पर बंद हुआ.
कन्वीनिएंस फीस से मिलता है बड़ा रेवेन्यू
सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, IRCTC ने 2020-21 के दौरान कन्वीनिएंस फीस से 299.13 करोड़ रुपये की कमाई की थी.
भारतीय रेलवे की ऑनलाइन टिकटिंग को देखने वाली IRCTC ने गुरुवार को शेयर बाजार को सूचना दी थी कि उसे बुकिंग्स पर कन्वीनिएंस फीस के तौर पर कमाए गए रेवेन्यू के 50 फीसदी हिस्सेदारी को रेलवे के साथ शेयर करना होगा. इस समझौते को महामारी से रोक दिया गया था.
ग्राहकों से ली गई कन्वीनिएंस फीस से IRCTC और रेलवे दोनों के लिए बड़ा रेवेन्यू आता है. फीस रिटेल किराया का हिस्सा नहीं है. यह IRCTC द्वारा पेश की जाने वाली ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सेवा के लिए है.
कंपनी के पास मजबूत एकाधिकार है क्योंकि यह एकमात्र इकाई है, जिसे ट्रेनों पर कैटरिंग सेवाओं को मैनेज करने और रेलवे स्टेशनों पर बड़ी इकाई को देखने के लिए अधिकृत किया गया है.