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एक नवम्बर से धान खरीदी समेत किसानों की अन्य समस्याओं पर बृजमोहन अग्रवाल, जिला अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी की प्रेस वार्ता

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  • एक महीना देर से धान खरीदी होने पर छत्तीसगढ़ के किसानों का 10000 करोड़ का नुकसान होगा – बृजमोहन अग्रवाल
  • प्रेस वार्ता में पूर्व विधायक नंदे साहू, छगन मूंदड़ा, रमेश ठाकुर जिला मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल उपस्थित

रायपुर : छत्तीसगढ़ में धान की फसल अब तैयार है लेकिन शासन द्वारा इस सत्र में इसकी खरीदी 1 दिसम्बर से किये जाने से किसानों में बेचैनी है। आप सभी जानते हैं कि प्रदेश में मुख्य रूप से महामाया और सरना दो किस्म के धान की खेती होती है। इसमें महामाया जहां 115 से 125 दिन में तैयार हो जाता है, वहीं सरना 130 से 145 का समय लेती है। प्रदेश में 15 जून से लेकर 30 जून तक फसल की बुवाई पूरी हो जाती है। ऐसे में हरहुना / महामाया धान की फसल की कटाई का काम जहां नवम्बर के पहले सप्ताह में पूरी हो जायेगी, वहीं सरना की कटाई भी पहले सप्ताह में ही शुरू हो जायेगी।
किसानों को कटाई और मिजाई के लिए भी पैसे की ज़रूरत होती है, इसके साथ ही हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार दीपावली भी पहले सप्ताह में ही होने के कारण किसानों को पैसों की सबसे अधिक आवश्यकता इसी समय होती है। लेकिन अभी तक शासन द्वारा धान खरीदी का कार्यक्रम घोषित नहीं किया गया है। भाजपा के शासन काल में लगातार एक नवम्बर से धान खरीदी के लिए हल्ला करने वाली कांग्रेस अभी तक इस मामले पर चुप्पी साढ़े हुई है जिससे किसानों का धैर्य अब चूकता जा रहा है।
प्रदेश में इसी तरह धान के रकबे को गुपचुप ढंग से कम किए जाने की साजिश भी कांग्रेस सरकार रच रही है। अफसरों पर दबाव डाला जा रहा है, कर्मचारियों को जबरन धान का रकबा कम दिखाये जाने का निर्देश दिया जा रहा है। रकबे को काफी कम कर धान खरीदने के अपने कर्तव्य से प्रदेश सरकार बचना चाह रही है। कांग्रेस द्वारा शुरू से ही अपने घोषणा पत्र के उलट केवल 15 क्विंटल धान खरीद कर भी किसानों के साथ धोखा कर रही है। चुनाव के समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घोषणा की थी कि किसानों का एक-एक दाना धान खरीदेंगे। अब जब केंद्र सरकार खुद प्रदेश की लगभग सारी उपज खरीदने की घोषणा कर चुकी है, मोदी जी की सरकार प्रदेश से 61 लाख मीट्रिक टन से अधिक चावल खरीदने का निर्णय ले चुकी है, तो किसानों का दाना दाना खरीदने में आखिर भूपेश सरकार को क्या दिक्कत है? ऐसा लगता है कि दुर्भावनावश यह सरकार प्रदेश की जनता को अन्य योजनाओं की तरह धान खरीदी में भी केंद्र की भाजपा सरकार के निर्णयों का लाभ नहीं लेने दे रही है।
इसी तरह केंद्र सरकार लगातार फसलों के एमएसपी में वृद्धि करती जा रही है लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। कांग्रेस सरकार अपने वादे के अनुसार धान का 25 सौ रूपये प्रति क्विंटल कीमत एकमुश्त तो नहीं ही दे पा रही है, ऊपर से केंद्र द्वारा हर सत्र में जो समर्थन मूल्य बढाया जा रहा है, उसका भी लाभ किसानों को नहीं दिया जा रहा है। पिछले सत्रों में केंद्र ने धान के समर्थन मूल्य में करीब 300 रूपये की वृध्दि की है। इस अनुपात में प्रदेश के किसानों को अगले फसल के लिए न्यूनतम 2800 रुपये प्रति क्विंटल धान की कीमत एकमुश्त देने की घोषणा करना चाहिए। हमने इस सन्दर्भ में महामहिम राज्यपाल महोदया को भी ज्ञापन देकर इस गंभीर विषय पर कदम उठाने का आग्रह उनसे किया है।

भाजपा यह मांग करती है कि :-
– धान खरीदी हर हाल में एक नवंबर से प्रारंभ करे।
– धान की पूरी कीमत का भुगतान एकमुश्त हो। पिछला बकाया भुगतान तुरंत हो।
– केंद्र द्वारा एमएसपी में लगातार किये गए वृद्धि का लाभ किसानों को देना सुनिश्चित हो।
– गिरदावरी के बहाने रकबा कटौती पर पूरी तरह रोक लगाए जाएं।
– कांग्रेस की घोषणा के अनुरूप किसानों का दाना-दाना धान खरीदे जाएं।
– घोषणा पत्र में किये वादे अनुसार किसानों को दो वर्ष का बकाया बोनस दिए जायें।

 भूपेश जी विपक्ष में रहते हुए धान खरीदी 1 नवंबर से करने की मांग करते थे।

 पिछले सालों में छत्तीसगढ़ की सरकार 30 लाख टन चावल भी जमा नहीं कर पाई थी।

 इस वर्ष केंद्र सरकार लगभग 61 लाख मेट्रिक टन चावल मतलब 96 लाख मैट्रिक टन धान छत्तीसगढ़ से खरीद रही है।

 प्रदेश में 75% लघु और सीमांत किसान हैं। जिन्हें किश्त के रूप में मात्र डेढ़ हजार से 7500 तक ही मिलेगा। क्या उससे गरीब किसान दीपावली मना लेगा।

* देवउठनी एकादशी के बाद छत्तीसगढ़ में शादी विवाह प्रारंभ हो जाते हैं। गरीब किसान अपने परिजनों की शादी करने के लिए औने पौने दामों पर बिचौलियों को धान बेचेगा या सूदखोरों के जंजाल में फंस जाएगा।

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