क्राइम वॉच

स्वास्थ्य मंत्री सिंह देव के फर्जी लेटर पैड मामले में दो गिरफ्तार

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  • एसड़ीएम के नाम जारी किया था फर्जी पत्र

विकास अग्रवाल/खरसिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छ.ग. के स्वास्थ्य मंत्री त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव उर्फ टीएस सिंहदेव के कूटरचित लेटर पैड़ पर खरसिया एसड़ीएम को पत्र लिखकर जीवनदीप समिति सिविल अस्पताल खरसिया में नियुक्ति कराने संबंधी मामले में खरसिया पुलिस ने कार्यवाही करते हुये दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के लेटरपैड पर खरसिया एसड़ीएम और जीवनदीप समिति के सचिव अभिषेक गुप्ता के नाम आदेशित पत्र जमा किया गया जिसमें लेख किया गया था कि श्रीमती रागिनी (परिवर्तित नाम) पति रामलाल (परिवर्तित नाम) निवासी खरसिया जिला रायगढ़, छ.ग. की निवासी है, इन्हे जीवनदीप समिति के अंतर्गत योग्यतानुसार उपयुक्त पद पर सिविल अस्पताल खरसिया में नियुक्त करे। पत्र को पढ़कर एसड़ीएम अभिषेक गुप्ता को पत्र की सत्यता पर शंका हुयी और इसकी जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी। जारी किया गया पत्र स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय से जारी नही होने की पुष्टि होने पर पुलिस को लिखित आवेदन दिया गया जिस पर खरसिया पुलिस ने भादवि की धारा 420,467,468,471 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर खरसिया निवासी दिनेश केसरी कथा तमस्कर राठौर को गिरफ्तार कर दोनों आरोपियों को खरसिया न्यायालय में प्रस्तुत किया गया जहां से जमानत याचिका खारिज होने पर दोनों आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल भेज दिया गया है।

जानकारी देने से बचते रहे अधिकारी

इस पूरे घटनाक्रम के संबंध में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी किसी भी प्रकार की जानकारी देने से अधिकारी बच रहे थे जहां स्वास्थ्य मंत्री के पत्र के मामले में खरसिया अनुभागीय अधिकारी अभिषेक गुप्ता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी वही खरसिया थाना प्रभारी के द्वारा जानकारी न मिलने पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले सं संपर्क करने पर उनके द्वारा भी इस मामले के संबंध में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए मामले की जानकारी नहीं होना बताया गया। इतने गंभीर मामले की जानकारी जिले के पुलिस विभाग के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी को ना होना संदेह के दायरे में आता है । अधिकारियों के इस रवैये से ऐसा प्रतीत होता है की मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से शायद अधिकारयों के द्वारा मामले में गोपनियता बरती जा रही थी, किंतु पुलिस को चाहिये कि इस प्रकार के मामलों को मीडिया से छुपाने की बजाय पारदर्शिता बरतते हुये तत्काल आम जनता के सामने लाना चाहिये जिससे की इस प्रकार की धोखाधड़ी के मामलो को रोका जा सके और आम जनता एैसे लोगों के झांसे में न आये।

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