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छत्तीसगढ़ में मिला 2000 साल पुराने कुषाण कालीन सिक्के और पासे

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रायपुर : राजधानी रायपुर से लगे पाटन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जमराव में खुदाई के दौरान सैंकड़ों साल पुरानी सभ्यता के सबूत मिले हैं। जमराव में पहले भी कई ऐतिहासिक पुरातत्व की प्राप्ति हो चुकी है। साल 2021 में यहां पुरातत्व विभाग ने 1 सितंबर से खारून नदी के तट पर दूसरे टीले की खुदाई शुरू की, जिसमें फिर से नए अवशेषों की प्राप्ति हुई। एक महीने तक चली खुदाई के दौरान विभाग को यहां कुषाण कालीन सिक्के, पासे, मनके व मिट्टी के ठीकरे मिले हैं। इन पुरावशेषों के आधार पर स्थल की प्राचीनता लगभग दो हजार साल होना अनुमानित बताया गया है।

संस्कृति व पुरातत्व उप संचालक डॉ. प्रताप चंद पारख ने यहां टीलों में प्राचीन सभ्यता होने के संबंध में सर्वे किया था। उस दौरान ऊपरी सतहों पर कुषाण कालीन अवशेष प्राप्त हुए थे। जमराव के इस टीले पर करीब दो हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों की प्राप्ति के बाद तरीघाट के बाद यह क्षेत्र में दूसरी सबसे पुरानी सभ्यता साबित हो रही है।

सिंह प्रतिमा व लुडो के पासे उत्खननकर्ता प्रभात सिंह ने बताया टीले के चारों तरफ़ पत्थर के परकोटे बने हुए हैं। खुदाई के दौरान हमें सिंह प्रतिमा व पासे मिले। कुषाण काल में लोग सिंह की पूजा करते थे, इसलिए हमेशा साथ में लेकर चलते थे, वहीं मनोरजन के लिए चौसर का खेल खेलते थे। आज जो लूडो के पासे है, वह दो हजार साल पहले भी हुआ करता था, जिसका जीता जागता निशान टेराकोटा से बना पासा है, जिसमें बिंदी एक से लेकर छ: अंक अंकित है।

बर्तन बनाने की भठ्ठी
जमराव में टीले के एक हिस्से में मिट्टी के बर्तन बनाने की भठ्ठी भी मिली है? भठ्ठा में खुदाई के दौरान मिटटी के बर्तन के साथ-साथ सुराही व मटका भी मिला। कुषाण काल में खाद्य सामग्री को संग्रहित करने के लिए व व्यापार के लिए मिट्टी के बर्तन बनाए जाते थे।

आधा टीला नदी के अंदर
संस्कृति व पुरातत्व विभाग के उपसंचालक ने बताया कि जमराव में जहां पर टीला है, वहां पर खारुन नदी के अंदर भी एक और टीला होना अनुमानित, जो नदी में डूबा हुआ है। टीले के अंदर होने का मुख्य कारण खारून नदी धनुषाकार रूप में मुडऩा है।

2019 से शुरू हैं खुदाई
जमराव में वर्ष 2019 में पुरातत्व विभाग ने खुदाई शुरू की थी। पद्मश्री अरूण कुमार शर्मा के निर्देशन में खुदाई के दौरान पहले चरण में मौर्य कालीन और कुषाण कालीन अवशेषों की प्राप्ति हुई थी। इससे पहले कुषाण सिक्के, स्थानीय सिक्के, एक मुखलिंग, लज्जा गौरी, बलराम संकर्षण की मूर्तियां, मृणमूर्तियां और सिलबट्टे आदि मिले थे। 1 से 29 सितंबर के खनन में लूडो, सिंह, टेराकोटा से बने गाय, कुषाण कालीन सिक्के, मनके व मिट्टी के ठीकरे मिले हैं।

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