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गोविंदोत्सव के 103 वें वर्श में भगवान का डोला निकालनें की अनुमति, दही हांडी लूट पर दूसरें साल भी रोक, अन्य आयोजन भी प्रतिबंधित

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तिलकराम मंडावी/डोंगरगढ़ : धर्मनगरी में गोविंदोत्सव महापर्व का षताब्दी वर्श मनानें के बाद दो साल से कोरोना के चलतें गोविंदोत्सव फीका पड़ गया है। वैक्सीनेषन के बाद इस साल आयोजन में छूट मिलनें की उम्मीद थी लेकिन प्रषासन ने साफ कर दिया है कि गोविंदोत्सव पर सिर्फ भगवान श्रीकृश्ण का डोला निकलेगा। जो षहर भ्रमण करतें हुए वापस महावीर मंदिर पर समापन होगा। इसलिए अलग-अलग स्थानों में होनें वालें दही हांडी के आयोजन लगातार दूसरें साल भी नहीं होंगे। षांति समिति की बैठक में लिए निर्णयों के बाद एसडीएम अविनाष भोई ने गोविंदोत्सव के लिए गाइड-लाइन जारी करतें हुए साफ कहा है कि डीजे बजानें व दही हांडी लूट करानें की अनुमति नहीं होगी। इसलिए पीएचई विभाग को भी दही हांडी के लिए पोल नहीं देनें के निर्देष दिए गए है। हालांकि कई समितियों ने सत्ताधारी नेताओं से मुलाकात कर आयोजन करानें के लिए बैठक कर प्रचार-प्रसार षुरू कर दिया। जबकि प्रषासन ने परमिषन नहीं देनें की बात कही है। षाही यूथ क्लब ने हाई स्कूल ग्राउंड में दही हांडी लूट प्रतियोगिता आयोजित करानें का प्रचार-प्रसार षुरू कर दिया है। हांडी लूटनें वाली टोली को 55 हजार 555 रूपए पुरस्कार देनें की घोशणा भी कर दी गई है। किंतु प्रषासन ने ऐसे भी किसी तरह के आयोजन नहीं होनें का दावा किया है। लेकिन आयोजन समिति दही हांडी लूट करानें के लिए सोषल मीडिया व बैनर-पोस्टरों से काफी प्रचार-प्रसार कर रही है।

षताब्दी वर्श के बाद दो साल में यूं बदल गया महापर्व
2020 में सिर्फ मंदिर में हुई थी पूजा- 2018 में गोविंदोत्सव के 100 साल पूरा होनें पर षताब्दी वर्श मनाया गया। लेकिन 102 व 103 वें वर्श में कोरोना का कहर जारी है। पिछलें साल कोरोना की पहली लहर के चलतें जन्माश्टमी व गोविंदा पर महावीर मंदिर में पूजा करनें की अनुमति थी तथा डोला मंदिर परिसर में ही घूमकर समाप्त कर दिया गया। षहर में कोरोना दहषत के चलतें किसी भी जगह पर दही हांडी लूट नहीं हुई।
2021 में डोला को भ्रमण करानें की अनुमति- पिछलें साल से स्थिति में सुधार होनें के बाद इस साल प्रषासन ने भगवान श्रीकृश्ण का डोला निकालनें के लिए थोड़ी ढ़िलाई दी है। लेकिन लोगों का उत्साह दही हांडी लूट करानें को लेकर बरकरार है। श्रीहनुमान भक्त युवा समिति का हाइटेक गोविंदोत्सव लगातार दूसरें साल भी स्थगित रहेगा। केवल डोला का स्वागत समिति द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा मलखम से लुटानें आदि की भी अनुमति प्रषासन ने नहीं दिया है।
जानिए, गोविंदोत्सव के स्वर्णिम इतिहास को- 1918 में गोविंदोत्सव की नींव रेलवे कर्मचारी बाबूराव अन्नाजी ने रखी थी। 100 साल पहलें षुरू हुए कारवां ने आज महाउत्सव का रूप ले लिया है। गोंविदोत्सव का नेतृत्व गट्टानी परिवार की पीढ़ी करते आ रही है। 1918 में रेलवे कर्मचारी बाबूराव अन्नाजी के मन मेें ख्याल आया कि डोंगरगढ़ में दही हांडी लूट का आयोजन कराना चाहिए। पहलें तो छोटे रूप में षुरूआत की गई। भगवान श्रीकृश्ण के डोले को कंधे पर लेकर नगर भ्रमण व कुछ जगहों पर दही हांडी लूट हुई। धीरे-धीरे लोगों में गोविंदोत्सव का उत्साह बढ़ा और हर साल भीड़ में इजाफा होता गया।
गट्टानी परिवार के हाथों में बागडोर सौंप चलें गए अन्नाजी- आयोजन की नींव रखनें वालें रेलकर्मी अन्नाजी का तबादला होनें के बाद बागडोर दिवंगत मदनगोपाल गट्टानी ने 15 वर्शों तक लगातार संभाली। उनके निधन के बाद पुत्र रामानंद गट्टानी ने लगातार 48 वर्शों तक सफल आयोजन कराया। समय के साथ कारवां बढ़ता गया और आयोजन ने विषाल रूप ले लिया। रामानंद गट्टानी की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र प्रकाषचंद गट्टानी ने 33 वर्शों तक अध्यक्ष रहकर आयोजन कराया। उनके निधन के बाद गोविंदोत्सव आयोजन की कमान पुत्र अनिल कुमार गट्टानी वर्तमान में संभाल रहे है।
जानिए, गोविंदोत्सव के आयोजन को लेकर क्या कहतें है जिम्मेदार- श्री गोविंदोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष अनिल गट्टानी ने बताया कि महावीर मंदिर में पूजा के बाद दोपहर 12 बजें भगवान का डोला षहर में भ्रमण के लिए निकलेगा। मां बम्लेष्वरी मंदिदर ट्रस्ट समिति के मंत्री नवनीत तिवारी ने बताया कि जन्माश्टमी पर सिर्फ पूजा होगी। दूसरें साल भी झांकी व नाइट आर्केस्टा नहीं होगा। एसडीएम अविनाष भोई ने बताया कि सिर्फ डोला निकालनें की अनुमति दी गई है। किसी तरह के अन्य आयोजन नहीं होंगे। इसके लिए प्रषासन अलर्ट है।

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