रायपुर : कांग्रेस सरकार के दो शक्ति केंद्रों के बीच का विवाद अंतिम समाधान की स्थिति में नहीं पहुंच पाया है। राहुल गांधी के साथ करीब तीन घंटे तक चली बैठक के बाद भी बहुत कुछ शेष है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव आज यानी बुधवार को भी दिल्ली में हैं। पार्टी सूत्रों से यह संकेत मिला है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नहीं है, लेकिन टीएस सिंहदेव को अब मंत्रिपरिषद में अधिक ताकतवर किया जाएगा। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और पीएल पुनिया से विवाद के बिंदुओं पर चर्चा के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने गए थे। इस बीच उन्होंने संदेश भिजवाया कि दोनों नेता एक दिन रुककर रायपुर जाएं। उसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का वापस लौटने का कार्यक्रम टाल दिया गया। सिंहदेव भी वहां अनुकूल फैसला होने के इंतजार में डटे हुए हैं। बताया जा रहा है, आज दोनों नेताओं की या कम से कम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोनिया गांधी से मुलाकात होगी। इस मुलाकात के दौरान ही अंतिम फैसला आ सकता है। इस बीच संकेत मिले हैं कि कथित तौर पर मौजूद ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर अमल को टाल दिया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। हालांकि, टीएस सिंहदेव को विभाग और सरगुजा की राजनीति में अधिक स्वायत्तता देने की बात बहुत स्पष्ट रूप से कह दी गई है। फिलहाल सभी नेताओं को इस बैठक के एजेंडे से जुड़ी कोई भी बात सार्वजनिक नहीं करने की सख्त हिदायत भी दी गई है। इसी के तहत पीएल पुनिया, भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव ने एक स्वर से कहा था, बैठक में राजनीतिक चर्चा हुई ही नहीं। यह विकास योजनाओं और चुनाव पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक थी।
मंत्रिमंडल का चेहरा बदलने की भी चर्चा
बताया जा रहा है, राहुल गांधी से मुलाकात के बाद एक बात बहुत जोर से उठी है कि छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल का चेहरा बदलेगा। इसमें टीएस सिंहदेव खेमे के एक विधायक को जगह मिलेगी। ये विधायक सरगुजा क्षेत्र से आते हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल से हटने वाला चेहरा भी सरगुजा अंचल का ही होगा। इस समय मंत्रिमंडल में सरगुजा संभाग के तीन मंत्री हैं।
दोनों नेताओं से अलग-अलग शिकायतें लीं
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव से अलग-अलग बैठक उनकी शिकायतों पर बात की है। बताया जा रहा है, दोनों नेताओं ने सिलसिलेवार घटनाओं का हवाला देकर अपनी बात कही है। विधायक बृहस्पत सिंह के आरोप, विभाग की बैठकों में ही स्वास्थ्य मंत्री को न बुलाया जाना, नीतिगत फैसलों में अनदेखी और सीएम के फैसले पर सवाल उठाने संबंधी मुद्दे उठाए गए हैं।