रायपुर : छत्तीसगढ़ में महिला आयोग में सिर्फ महिलाओं के आवेदन लिए जाते हैं। आयोग में पूरी सुनवाई निश्शुल्क होती है। किसी भी महिला को कोई खर्च वहन नहीं करना पड़ता। महिला आयोग के आदेशों को चुनौती केवल हाई कोर्ट में ही दे सकते हैं। किसी भी सरकारी दफ्तर और कोई भी संस्थान, जहां पर दस या उससे अधिक सदस्य काम करते हैं, वहां पर आंतरिक परिवाद समिति गठित करना आवश्यक है, जिसमें महिला सदस्य का होना जरूरी है। यह बातें छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा.किरणमयी नायक ने राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से आयोजित एक वेबिनार में कहीं। वक्ता अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी ने कहा कि महिलाओं को अपनी संपत्ति पर अधिकार तो है ही, उनका अपने शरीर पर भी अधिकार है। महिलाएं काम करने जाती हैं। बहुत से पुरुष इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते है। उनको हर तरह से रोकने का प्रयास करते हैं। उनके काम में बाधा उत्पन्न करते है, उन्हें आगे बढ़ने से रोका जाता है। दुष्कर्म के मामलों में निर्भया केस के बाद इस पर व्यापक संशोधन हुआ है। महिलाएं अपने अधिकारों को समझें, ससुराल में हो या काम करने के स्थान पर, धारा 498 के केस में आपको दहेज के सामान की लिस्ट और किसने आपके साथ क्या किया है, उसकी विस्तृत जानकारी देनी होगी। इसके आधार पर आपकी शिकायत दर्ज होगी। यदि आप शिकायत दर्ज कराती हैं तो उसके साथ शिकायत से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज, गवाहों को अपने साथ रखें और चालान की कापी जरूर रखें। राज्य में महिला उत्पीड़न से संबंधित शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1091, 112, 181 इनका इस्तेमाल अधिक से अधिक किया जाना चाहिए।
महिला आयोग में न्याय पाने के लिए एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं : डा. किरणमयी

