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रोका-छेका की पोल खोल रहे है रास्ते में बैठे मवेशी: रँजना साहू

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  • विधायक ने योजनाओं के क्रियान्वयन पर उठाया प्रश्नचिन्ह
नरेश राखेचा/धमतरी : बरसात में धान बुवाई होने के बाद गांव में चरवाहों के माध्यम से पशुधन को एकत्रित करने की प्रथा है दूसरे शब्दों में फसल की तैयारी के बाद पशुओं को छेकना गांव की सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसे किसान कृषि तथा गांव के रीति नीति के प्रति अपना कर्तव्य समझकर निर्वहन भी करते हैं परंतु प्रदेश सरकार द्वारा 1 जुलाई से रोका-छेका अभियान के तहत पूरे प्रशासनिक मिशनरी को इस कार्य में लगाने के बाद भी उक्त अभियान के सफल जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन मे प्रश्नचिन्ह खड़ा विधायक रँजना डिपेंद्र साहू द्वारा किया गया है। उन्होंने आगे कहा है कि गांव का आम व्यक्ति तथा किसान अपने पालतू पशु की देखभाल करना तथा चरवाहा के माध्यम से चराना उसे अपना धर्म समझता है लेकिन शहर से मवेशियों को पकड़ कर गांव तथा आम रस्ता तो विशेषकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर छोड़ देना आम जनजीवन के लिए समस्या उत्पन्न कर दिया है रोका छेका अभियान की सफलता गौ सेवा के रूप में सरकार जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहना है यही इस अभियान की सार्थकता होगी नहीं तो मात्र खानापूर्ति के नाम पर यह योजना भी अब दम तोड़ देगी।
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