दंतेवाड़ा : कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देश के विभिन्न शहरों से कई ऐसी तस्वीरें देखने को मिली जिसने मानवता को शर्मसार किया। लेकिन अब दंतेवाड़ा जिले के बचेली शहर से एक ऐसी तस्वीर निकल कर आई है जिसने इंसानियत के अब भी जिंदा रहने का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। शहर के वार्ड नम्बर 9 की एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद पार्षद ने बेटा बनकर पूरे रीति रिवाज से दाह संस्कार किया है।
एक महीने से थी बीमार
बचेली नगर पालिका के वार्ड नम्बर 9 में रहने वाली सुखमती (65) लगभग एक महीने पहले कोरोना संक्रमित हुई थी। जिसे वार्ड के पार्षद अप्पू कुंजाम ने बचेली के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया था। कोरोना से तो वह ठीक हो गई थी लेकिन अन्य बीमारियों ने सुखमती को जकड़ा हुआ था। डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए उसे डिमरापाल मेडिकल कॉलेज रेफर किया था। जहां सुखमती ने मंगलवार को दम तोड़ दिया।
झाड़ू-पोछा कर 2 वक्त की रोटी का करती थी बंदोबस्त
सुखमती वार्ड नम्बर 9 के एक कच्ची झोपड़ी में रहती थी। पति की मौत के बाद घर-घर जाकर झाड़ू-पोछा लगाकर कुछ पैसे कमा लेती थी। इससे सुखमती के 2 वक्त की रोटी का बंदोबस्त हो जाता था। सुखमती वार्डवासियों की भी चहेती थी, लोग इसे प्यार से दादी कह कर पुकारे थे। हालांकि सुखमती की भांजी व कुछ तिश्तेदार भी जरूर हैं, लेकिन उन्हें इससे कोई मतलब नहीं था।
बेटा बन पार्षद ने दी मुखाग्नि
बचेली नगर पालिका के वार्ड नम्बर 9 के पार्षद अप्पू कुंजाम ने सुखमती का बेटा बनकर मुखग्नि दी। वहीं अस्थियों का भी विसर्जन किया। इतना ही नहीं अपने बाल दे कर ब्राम्हणों को भोजन भी करवाया। पार्षद ने पूरे रीति रिवाज से सुखमती का दाह संस्कार किया। इस कार्य में वार्ड वासियों ने भी पार्षद का साथ दिया। इससे पूर्व भी अप्पू ने मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला की मौत के बाद उसका क्रियाकर्म किया था।
वार्ड वासियों ने किया लकड़ियों का इंतजाम
वैसे तो लकड़ियों का इंतजाम करना नगर पालिका की जिम्मेदारी होती है, लेकिन सुखमती की मौत के बाद वार्ड वासियों ने ही दाह संस्कार के लिए लकड़ियों का इंतजाम किया था। वार्डवासी अपने-अपने घरों से लकड़ियां लेकर आए थे। बताया जा रहा है कि नगर पालिका के कर्मचारियों के द्वारा लकड़ियों का बंदोबस्त किया जा रहा था। लेकिन वार्ड के लोगों ने मना कर दिया। लोगों ने कहा कि सुखमती हमारी दादी की तरह थी, इसलिए वार्ड के हरेक घर से हम लकड़ियां लाए।