रायपुर : छत्तीसगढ़ में ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने ही पूर्व मुखिया ADGP जीपी सिंह के ठिकानों पर छापे मारे हैं। ADGP जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप है। इसके साथ ही उनसे जुड़े कई अफसर भी निशाने पर हैं। फिलहाल कार्रवाई सुबह 6 बजे से जारी है। ACB मामले का खुलासा संभवत शाम तक कर सकती है। इसके बाद उनके खिलाफ ब्यूरो में मामला भी दर्ज हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, ACB की 10 अलग-अलग टीमें ADGP जीपी सिंह 10 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई कर रही हैं। प्रदेश में संभवत: यह पहली बार है जब किसी IPS अफसर के खिलाफ ACB की ओर से कार्रवाई की जा रही है। ADGP जीपी सिंह साल 2019 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के मुखिया थे। उन्हें सरकार ने एक साल पहले वहां से हटाकर पुलिस अकेडमी भेज दिया था। इससे पहले IPS जीपी सिंह रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग के IGP भी रह चुके हैं।
करीबी IPS अफसर पर कसा शिकंजा
इस कार्रवाई के साथ ही ADGP सिंह के करीबियों पर भी शिकंजा कसने लगा है। इसमें कई आईपीएस अफसर भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि ACB टीम ने कई अफसरों और करीबियों के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं। हालांकि अभी तक इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है। रायपुर के साथ ही जनादगांव और भिलाई में छापे की सूचना है। उनसे जुड़े सिविलियन के यहां भी छापे मारे गए हैं। अपने ही पूर्व अफसर पर ACB की कार्रवाई के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
विवादों से पुराना नाता रहा है IPS जीपी सिंह का
SP बनने के साथ ही IPS जीपी सिंह के साथ विवाद भी जुड़ना शुरू हो गया था। बस्तर SP रहने के दौरान जीपी सिंह करीब 100 ग्रामीणों को रायपुर लेकर आए थे। बताया जाता है कि गैलेंट्री पाने की लालच में लाए गए ग्रामीण यहां पहुंचे तो पता चला कि वह नक्सली नहीं बल्कि सामान्य आदिवासी हैं। वहीं अपने ही वरिष्ठ और मातहत अधिकारियों के साथ उनके झगड़े भी चर्चा में रहे। एक IG के घर से लूट की रकम बरामद करने की साजिश में भी इनका नाम आया था।
SP राहुल शर्मा की आत्महत्या में भी जुड़ा नाम
जीपी सिंह के करियर का सबसे बड़ा विवाद उनके SP राहुल शर्मा की आत्महत्या थी। तब जीपी सिंह बिलासपुर के IG और राहुल शर्मा बिलासपुर SP। इस दौरान दोनों के बीच कई बार झगड़े हुए। राहुल शर्मा छुट्टी में गए तो जीपी सिंह ने उनके जूनियर को प्रभार दे दिया और चैंबर में उनकी ही कुर्सी। इस घटना से राहुल इतने ज्यादा आहत हुए कि उन्होंने खुद को गोली मार ली। सुसाइड नोट में भी उन्होंने प्रताड़ना का आरोप लगाया, लेकिन जीपी सिंह इस मामले से साफ तौर पर बरी कर दिए गए। विरोध भी हुआ था, लेकिन सिंह को सजा का सामना नहीं करना पड़ा।