प्रांतीय वॉच

तगड़ी सेटिंग के बीच झोलाछाप डॉक्टरों की मंत्री कलेक्टर से शिकायत बेअसर 

टीकम निषाद/देवभोग : बिना डिग्री के आए दिन हजारों रुपए कमाकर सैकड़ों मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों की कलेक्टर एवं मंत्री से शिकायत होने के बाद भी अब तक कार्यवाही नहीं हो पाना तगड़ी सेटिंग की ओर इशारा कर रहा है। क्योंकि लगातार मामला सुर्खियों में आने के पश्चात जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने तत्कालीन प्रभारी मंत्री और कलेक्टर से शिकायत कर कार्यवाही की मांग क्या रहा। बावजूद इसके मुख्यालय से लेकर गांव-गांव में बसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ जिला प्रशासन का एक्शन देखने को नहीं मिला। जबकि इन कथित डॉक्टरों के इलाज के कुछ दिनों बाद मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।  जिससे स्वास्थ्य विभाग भली-भांति अवगत है। लेकिन आंख कान बंद कर बैठे दिखाई पड़ रहे हैं। इ ससे स्वास्थ्य विभाग  स्वास्थ्य केंद्र एवं उप स्वास्थ्य केंद्र की नाकामी छुपाने में भी सफल हो जाते हैं । तभी आम मरीज ब्लॉक के शासकीय अस्पताल की अव्यवस्था को देख या धरमगढ़ इलाज के लिए जाते हैं या फिर झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं। शायद यही वजह है कि लगाता र  शिकवा शिकायत के बाद अधिकारी  एक दूसरे पर कार्यवाही का जिम्मा डाल कर पल्ला झाड़ रहे हैं। जिसके चलते सप्ताह भर में नए-नए कथित डॉक्टर विकासखंड में देखने को मिल रहा है। और यह डॉक्टर घर-घर जाकर ग्लूकोस बॉटल मलेरिया  का इलाज कर रहे हैं। एवं  अपने इलाज से साइड इफेक्ट देख अंतिम समय मुख्यालय के झोलाछाप डॉक्टर या अन्य जगह रेफर कर देते हैं। जानकारों की माने तो ब्लॉक में ढाई सौ से ज्यादा झोलाछाप डॉक्टर ने अपना डॉक्टरी का जाल बिछा रखा है। बकायदा इनके बीच मुकाबला भी देखने को मिलता है। ग्रामीणों को हल्की बुखार देख मलेरिया की डोज देकर भोले-भाले ग्रामीणों को अपने पाली में कर लेते हैं। जबकि उड़ीसा पर टेस्ट कराने पर मलेरिया नहीं होने का मामला भी कई बार सामने आ चुका हैं । यही कारण है  सबसे ज्यादा मलेरिया की दवाई बेचे जाती हैं। जबकि प्रमाणित लैब से टेस्ट कराने के बाद ही डिग्री धारी डॉक्टरों से इलाज करने का नियम है ।लेकिन बिना डिग्री के डॉक्टरों की पर्ची से बिना प्रमाणित और बिना लाइसेंस के पैथोलॉजी पर ब्लड मल मूत्र शुगर सहित अन्य का टेस्ट कराया जाता है। और  उक्त  टेस्ट के आधार पर कथित डॉक्टर इलाज भी कर देते हैं। बाकायदा इसके लिए झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा पैथोलॉजी संचालकों से कमीशन लेने की बात भी सामने आती है। इससे मरीजों को शारीरिक नुकसान उठाने के साथ-साथ आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है। यही कारण है कि इस लूटपाट को बंद कराने जनप्रतिनिधियों ने एड़ी चोटी लगा दिया है। लेकिन तगड़ी सेटिंग के बीच झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध अब तक शिकायत  बेअसर नजर आ रहा है ।
– अंजू सोनवानी बीएमओ से पक्ष  जानना चाहा मगर उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया l 

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