कमलेश रजक/मुंडा : बुधवार और गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रख वट वृक्ष की पूजा कर पति की लंबी उम्र की कामना की। वैसे उपवास दो दिन होने के कारण संशय की स्थिति बनी हुई रही पर अंचल में बुधवार और गुरुवार को अधिकांश महिलाओं ने उपवास रख वट वृक्ष की पूजा की। यह व्रत ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के दिन रखा जाता। इस बार बुधवार व गुरुवार को अमावस्या पड़ने पर सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखे और वट वृक्ष का पूजा कर पति के लंबी उम्र की कामना की। ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत कथा के श्रवण मात्र से महिलाओं के पति पर आने वाली बुरी बला टल जाती है। यह पर्व को देश के सभी हिस्सों में मनाया जाता है। बरगद का पेड़ चिरायु होता है। अतः इसे दीर्घायु का प्रतीक मानकर परिवार के लिए इसकी पूजा की जाती है। हालांकि लाकडाउन की वजह से महिलाएं इस बार पारंपरिक तरीके से बरगद के पेड़ के नीचे पूजा नहीं कर पाईं। फिर भी कई महिलाएं घरों में वट वृक्ष की पूजा की। वहीं कई महिलाये बाहर में आकर शारीरिक दूरी का पालन कर पूजा अर्चना की। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन ही माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्घा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। अतः इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है। महिलाएं भी इसी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं।
पति की दीर्घायु के लिए वटवृक्ष में बांधा रक्षा सूत्र
