रायपुर। प्रदेश में सिलगेर की घटना को लेकर सियासत तेज होती दिख रही है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस घटना के लिए राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा घटना स्थल तक नहीं जाती तो कांग्रेस का दल भी नहीं जाता।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने मंगलवार को प्रेसवार्ता लेकर विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि 13 मई से 17 मई के बीच कई गांवों के लोग सिलगेर में आंदोलन पर बैठे थे, लेकिन इस बीच वहां कोई मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी मिलने तक नहीं गए।
भाजपा ने सबसे पहले टीम गठित कर तर्रेम तक पहुंची। जब गांव वाले यह कहने लगे कि भाजपा पहुंच गई, लेकिन सरकार कहां है, कांग्रेस कहां है? इसके बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल वहां गया। कौशिक ने कहा कि सरकार के प्रतिनिधि बनकर वहां गए थे तो कुछ घोषणा करके लौटना था, लेकिन कमेटी ने रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपा दिया। गांव वालों की मांगों पर अब सरकार क्या घोषणा करती है यह हम देख रहे हैं।
प्रदर्शन करने वालों को धमका रही सरकार
बीएड-डीएड संघ के प्रदर्शन पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक हफ्ते के भीतर नियुक्ति देने की बात कही थी, लेकिन 2021 आ गया, अब भी नियुक्ति नहीं हुई। प्रदर्शन करने पर धमकी दी जा रही है कि देख लिया जाएगा। यह सरकार का तानाशाही रवैया है जो लोकतंत्र में उचित नहीं है।
प्रदेश में विकास ठप
मंत्रियों और विधायकों के परफार्मेंस रिपोर्ट तैयार किए जाने की तैयारी पर कौशिक ने कहा कि ढाई साल में प्रदेश में विकास के काम ठप हो गए हैं। सरकार के काम ठप हो चुके हैं तो विधायकों का क्या होगा? मंत्रियों में तकरार की स्थिति है। विधायक मंत्रियों से नाराज हैं। मंत्रियों के घर का घेराव तक होता है। कई महत्वपूर्ण बैठकों में मंत्रियों को जानकारी नहीं दी जाती। यह सरकार का परफार्मेंस है।
एफआइआर की यह संस्कृति उचित नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और संबित पात्रा के हाईकोर्ट में याचिका लगाए जाने पर कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार विपक्ष के नेताओं को फंसाने के लिए एफआइआर करा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के कहने पर शिकायत की जा रही है। यह राजनीतिक मामला है। ऐसे मामलों पर हाईकोर्ट जाना चाहिए। एफआइआर की यह संस्कृति उचित नहीं है।